देहरादून; राजपुर के जाखन में मुख्य सचिव आवास के पास स्थित कोचर कालोनी में सरकारी भूमि को खुर्दबुर्द करने के मामले में विजिलेंस ने दून के प्रतिष्ठित होटल व्यवसायी एसपी कोचर और उनकी पत्नी कृष्णा कोचर पर मुकदमा दर्ज कर जांच शुरू कर दी है।
आरोप है कि कोचर दंपती ने राजस्व विभाग, नगर निगम व एमडीडीए के अधिकारियों के साथ मिल करोड़ों रुपये की भूमि पर न केवल अवैध कब्जा कराया, बल्कि दाखिल-खारिज और रजिस्ट्री तक करा डाली। ज्यादातर भूमि पर वर्तमान में मकान बन चुके हैं। सरकार के आदेश पर दर्ज हुए मुकदमे में विजिलेंस ने शुक्रवार को मौके पर जाकर कब्जे की भूमि की पैमाइश कराई।
अवैध कब्जे का यह मामला करीब 25 साल पुराना बताया जा रहा है, लेकिन इसकी परतें तब खुली जब बीते दिनों यह मामला मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी और मुख्य सचिव डा. एसएस संधु के संज्ञान में आया। सरकार ने मामले की जांच जिला प्रशासन को दी। एसडीएम ने जांच की और जून में पूरी रिपोर्ट सरकार को भेजी गई।
इसमें होटल व्यवसायी एसपी कोचर और उनकी पत्नी कृष्णा को सरकारी अधिकारियों के साथ मिल भूमि पर अवैध कब्जा कराने का आरोपी बताया गया। इस रिपोर्ट पर सरकार ने विजिलेंस को मुकदमा दर्ज कर कार्रवाई के आदेश दिए। विजिलेंस के मुताबिक मौके पर 90 प्रतिशत सरकारी जमीन पर अवैध कब्जे हैं, जिनमें ज्यादातर प्लाट पर मकान बन चुके हैं।
विजिलेंस की प्रारंभिक जांच में पता चला है कि कोचर दंपती ने करीब 25 वर्ष पहले जाखन में काश्तकारों से जमीन खरीदी और प्लाटिंग कर कोचर कालोनी बनाई। दंपती ने प्लाट तो बेच दिए, लेकिन प्लाटिंग के वक्त जो रास्ता बनाया था, वह दंपती के नाम पर ही रहा। आरोप है कि बाद में कोचर दंपती ने रास्ते वाली जमीन को भी अलग-अलग व्यक्तियों को बेच दिया।
जब उक्त व्यक्तियों ने जमीन पर कब्जा मांगा तो दंपती ने रास्ते की जमीन के बजाय आसपास की सरकारी जमीन पर कब्जा दे दिया। इस दौरान दंपती ने रजिस्ट्री अपने स्वामित्व वाली जमीन की ही कराई। आरोप है कि सरकारी जमीन पर दिए गए कब्जे की राजस्व, नगर निगम और एमडीडीए के अधिकारियों ने जांच भी नहीं की और दाखिल-खारिज भी बिना आपत्ति कर दिए।
शुक्रवार को विजिलेंस ने कोचर कालोनी में अवैध कब्जे वाले एक भूखंड की जांच पूरी कर ली। विजिलेंस सूत्रों के मुताबिक, 2060 वर्ग मीटर वाले इस भूखंड में 1090 वर्ग मीटर सरकारी जमीन निकली, जबकि बाकी 970 वर्ग मीटर आबादी क्षेत्र वाली। विजिलेंस के सीओ एसएस सामंत के साथ निरीक्षक तुषार बोरा ने राजस्व, एमडीडीए व नगर निगम के अधिकारियों के माध्यम से संयुक्त पैमाइश कराई।
सरकारी तंत्र में इससे बड़ा मजाक क्या होगा कि जिस सरकारी जमीन की रक्षा के लिए सरकार ने नगर निगम व एमडीडीए को जिम्मेदारी सौंपी थी और वही अवैध कब्जा कराने में अहम बने। आम आदमी के छोटे से काम से लिए महीनों कार्यालय के चक्कर कटवाने वाले सरकारी अधिकारियों ने करोड़ों की सरकारी भूमि पर हो रहे इन कब्जों पर आंखें फेर लीं।
यूं तो नगर निगम में दाखिल-खारिज के लिए आम आदमी को कई-कई माह तक तारीख नहीं मिलती, वहीं कोचर कालोनी के दाखिल-खारिज में जांच तक की जहमत नहीं उठाई गई। अब विजिलेंस उन सभी अधिकारियों की कुंडली खंगाल रही, जिनके कार्यकाल में यह कब्जे किए गए। इन सभी के नाम की सूची राज्य सरकार को भेजने की बात कही जा रही है।