December 24, 2024

Devsaral Darpan

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लोन धारकों के लिए बुरी खबर- महंगा होगा लोन, रिजर्व बैंक ने फिर बढ़ाया रेपो रेट।

नई दिल्ली;  लगातार बढ़ती महंगाई  के कारण रिजर्व बैंक ने शुक्रवार को एक बार फिर से रेपो रेट बढ़ाने का ऐलान कर दिया है। इस बार आरबीआई ने रेपो रेट में 50 आधार अंकों की बढ़ोतरी की है। 4.90 फीसद से बढ़कर अब रेपो रेट 5.40 फीसद हो गया है। मई में रेपो दर में अप्रत्याशित 40-बेसिस पॉइंट्स और जून में 50 आधार अंकों की वृद्धि के बाद रिजर्व बैंक द्वारा की गई यह तीसरी वृद्धि है। आरबीआई द्वारा रेपो रेट बढ़ाने से आपके होम और कार लोन जैसे अन्य कर्जों की ईएमआई बढ़ जाएगी।

प्राप्त जानकारी के अनुसार: आरबीआई गवर्नर शक्तिकांत दास ने बयान जारी कर बताया कि मौद्रिक नीति समिति ने 50 आधार अंकों की बढ़ोतरी का फैसला किया है। आज शुक्रवार को आरबीआई ने रेपो रेट में वृद्धि कर दी है। इस फैसले के बाद अब रेपो रेट 4.90 फीसद से बढ़कर 5.4 फीसद हो गया है।

आरबीआई गवर्नर शक्तिकांत दास ने कहा कि शहरी मांग में सुधार देखने को मिल रहा है। हालांकि, उन्होंने इस बात का भी संकेत दिया कि कोर महंगाई दर ऊंचे स्तर पर रहने का अनुमान है। आरबीआई गवर्नर ने कहा कि ग्रामीण मांग में धीरे-धीरे सुधार जारी है। निवेश में तेजी देखने को मिल रही है।

उन्होंने कहा कि मौद्रिक नीति समिति ने अकोमोडेटिव स्टैंस वापस लेने पर जोर दिया है। आरबीआई ने कहा कि लगातार ज्यादा महंगाई, ग्रोथ पर असर डाल सकती है। आरबीआई ने बताया कि एम.एस.एफ. 5.15 फीसद से बढ़कर 5.65 फीसद किया गया है। गवर्नर के मुताबिक अप्रैल के मुकाबले महंगाई में काफी कमी आई है।

आपको बता दें कि करीब चार महीने के अंतराल में रेपो रेट में लगातार तीसरी बढ़ोतरी है। रिजर्व बैंक के गवर्नर शक्तिकांत दास आरबीआई गवर्नर शक्तिकांत दास ने मौद्रिक नीति समिति की अगस्त में की बैठक के बाद आज रेपो रेट बढ़ाए जाने की जानकारी दी।

प्राप्त जानकारी के अनुसार: आरबीआई ने इस वर्ष पहले ही दो तीन बार ब्याज दरों में वृद्धि की है, जिसका रियल एस्टेट की मांग पर कोई विपरीत प्रभाव नहीं पड़ा, क्योंकि भारतीय अर्थव्यवस्था, विश्व स्तर पर सबसे अच्छा प्रदर्शन करने वाली अर्थव्यवस्थाओं में से एक है। इस कारण भारतीय उपभोक्ता भविष्य के प्रति बहुत आशानवित है। नतीजतन, सभी प्रकार की संपत्तियों की मांग लगातार बनी हुई है और निकट भविष्य में इसकी मांग बनी हुई रहेगी।

एआईपीएल के समूह कार्यकारी निदेशक पंकज पाल ने कहा कि मौजूदा महंगाई के परिदृश्य को देखते हुए आरबीआई का फैसला अपेक्षित है। इस फैसले से कर्ज और जमा दरों में मजबूती आने की संभावना है। डिमांड का थोड़ा सा प्रभाव हो सकता है, लेकिन हम हाउसिंग मार्केट के डिमांड पर एक बड़े प्रभाव की उम्मीद नहीं करते हैं। शेयर बाजार,सोना तथा अन्य निवेश के विकल्पों में भारी उतार-चढ़ाव देखने को मिल रहा है। इस कारण से उपभोक्ताओं का रियल एस्टेट में निवेश के प्रति झुकाव बढ़ा है और आगे भी इसके बनी रहने की संभावना है।

प्राप्त जानकारी के अनुसार: दुनिया के दूसरे केंद्रीय बैंकों द्वारा दरों की बढ़ोतरी को देखते हुए आरबीआई ने मई में दरें बढ़ाना शुरू किया था। रिजर्व बैंक ने बढ़ती महंगाई को काबू में लाने के लिए मई और जून में नीतिगत दर में कुल 0.90 प्रतिशत की वृद्धि की थी। भारत में खुदरा महंगाई दर जून में लगातार छठे महीने भारतीय रिजर्व बैंक के 6 प्रतिशत के ऊपरी टॉलरेंस बैंड से अधिक चल रही है। जून में खुदरा महंगाई 7.01 फीसद पर आ गई थी। हालांकि, आरबीआई की माने तो महंगाई दर कुछ नीचे आई है।

रेपो रेट में वृद्धि होने से आने वाले दिनों में होम लोन, ऑटो लोन व दूसरे बैंकिंग लोन और भी महंगे हो जाएंगे। मई 2022 में जब आरबीआई ने रेपो रेट में 0.40 फीसद की वृद्धि की थी, तो उसके बाद कई बैंकों ने ताबड़तोड़ तरीके से अपनी ब्याज दरों में इजाफा किया था। ब्याज दरों में आज हुई 50 आधार अंकों की बढ़ोतरी के बाद बैंकों की तरफ से कर्ज की दरों को और बढ़ाया जा सकता है। हालांकि, एफडी में निवेश करने वाले लोगों को बढ़ी ब्याज दरों का फायदा मिल सकता है।

रेपो रेट वह रेट होता है, जिस पर आरबीआई कमर्शियल बैंकों को लोन देता है। इसका पूरा नाम रिप्रोडक्शन रेट है, लेकिन संक्षेप में इसे रेपो रेट कहते हैं। रेपो रेट कम होने का मतलब है कि बैंक से मिलने वाले सभी तरह के कर्ज सस्ते हो जाएंगे। यानी रेपो रेट कम हाेने से होम लोन, व्हीकल लोन और पर्सनल लोन सभी सस्ते हो जाते हैं। लेकिन इससे आपकी जमा पर ब्याज दर में भी बढ़ोतरी हो जाती है। इसी तरह इसके बढ़ने से सभी तरह के लोन महंगे हो जाते हैं।

स्टेचुटरी लिक्विडिटी रेशियो या एसएलआर एक मौद्रिक टर्म है, जिसे सभी वाणिज्यिक बैंकों को पूरा करना होता है। इससे पता चलता है कि बैंक आम जनता या कारपोरेट जगत को लोन या क्रेडिट देने से पहले कैश, गोल्ड रिजर्व, पीएसयू बांड्स और सिक्योरिटी में कितनी राशि रखेंगे। इससे बाजार में कैश फ्लो पर नियंत्रण रखा जाता है। रिजर्व बैंक इसके जरिए भी बाजार में कैश मैनेजमेंट का काम करता है। अगर बाजार में नकदी कम होगी तो बैंक के पास लोन देने के लिए कम पैसे होंगे। इसका मतलब यह हुआ कि लोन का रेट बढ़ जाएगा।

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