December 23, 2024

Devsaral Darpan

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चीन और ताइवान के बीच युद्ध होना- होगें भारत की अर्थव्यवस्था के लिए घातक परिणाम।

ताइवान-चाईना विवाद; अमेरिकी स्पीकर नैंसी पेलोसी की हालिया ताइवान यात्र से चीन और ताइवान के बीच तनाव अधिक बढ़ गया है। दोनों देशों के बीच युद्ध होने की आशंका भी जताई जा रही है। भारत में भले ही अक्सर चीन में बने सामानों के बहिष्कार की बात की जाती है परंतु भारत के बहुत सारे उद्योग कच्चे माल एवं कलपुर्जो के लिए चीन पर ही अधिक निर्भर हैं। कई तैयार उत्पादों का आयात भी भारत चीन से करता है। आज युद्ध से अधिक आवश्यक व्यापार हो गया है। यदि दूसरे देश से व्यापारिक संबंध अच्छे नहीं हैं या फिर वैश्विक स्तर पर आपूर्ति श्रृंखला बाधित है तो किसी भी देश की अर्थव्यवस्था ध्वस्त हो सकती है। इसके लिए किसी देश को युद्ध की आग में जलने की कदापि आवश्यकता नहीं है। उदाहरण के तौर पर रूस और यूक्रेन के बीच चल रहे युद्ध के कारण वैश्विक स्तर पर आपूर्ति श्रृंखला बाधित है, जिससे समग्र विश्व में महंगाई बढ़ रही है। इससे वैश्विक विकास की गति धीमी पड़ गई है। आज रूस और यूक्रेन में चल रहे युद्ध के कारण विश्व के कई देशों में आर्थिक मंदी आने की आशंका बढ़ी है। श्रीलंका और पाकिस्तान की आर्थिकी बर्बादी की ओर जाती दिख रही है। वहीं बांग्लादेश की आर्थिकी भी कई कारणों से दुष्प्रभावित हो रही है।

भारत के व्यापारिक संदर्भ में चीन की महत्ता इसलिए भी है, क्योंकि चीन इलेक्ट्रानिक और कई दूसरे उत्पादों का विश्व का एक महत्वपूर्ण उत्पादक एवं निर्यातक देश है। भौगोलिक आकार में ताइवान भले ही एक छोटा देश है, परंतु सेमीकंडक्टर, जिसे चिप भी कहा जाता है, उसका विश्व का सबसे बड़ा उत्पादक और निर्यातक देश है। चिप को इलेक्ट्रानिक उत्पादों का दिमाग कहा जाता है। इसके बिना इलेक्ट्रानिक उत्पाद निर्जीव हैं। इस लिहाज से देखें तो ताइवान का महत्व दुनिया के सभी देशों के लिए बहुत महत्वपूर्ण है, क्योंकि भारत समेत विश्व के अधिकांश देश चिप की आपूर्ति के लिए ताइवान पर निर्भर हैं। भारत की निर्भरता भी इस लिहाज से चीन और ताइवान पर ही है।

यह सही है कि चीन के साथ भारत का व्यापार घाटा निरंतर बढ़ रहा है अर्थात भारत चीन से विविध उत्पादों का आयात अधिक करता है, जबकि निर्यात कम करता है। चीन से भारत आयात किए जाने वाले उत्पादों में इलेक्ट्रानिक्स का हिस्सा 20.6 प्रतिशत और मशीनरी का 13.4 प्रतिशत है। भारत में स्मार्टफोन उपकरणों के लिए चिप की आपूर्ति करने वाली तीन प्रमुख आपूर्तिकर्ताओं में अमेरिकी कंपनी क्वालकाम, ताइवान की कंपनी मीडियाटेक और चीन की कंपनी यूनिसोक शामिल हैं। भारत ताइवान की कंपनियों पर ज्यादा निर्भर है।

उल्लेखनीय है कि भारत में 5जी सेवाएं जल्द ही शुरू होने वाली हैं। इसके लिए बड़ी संख्या में चिप की आवश्यकता होगी। रोबोटिक्स, आइओटी समाधान आदि के लिए भी चिप की आवश्यकता है। इलेक्टिक वाहनों में भी चिप का उपयोग किया जाता है। दूसरे वाहनों में भी चिप का प्रयोग किया जाता है। आइईएसए की एक रिपोर्ट के अनुसार, भारत में खपत होने वाले चिप का कुल मूल्य वर्ष 2021 में 27 अरब डालर था, जो वर्ष 2026 तक बढ़कर 64 अरब डालर हो सकता है। वर्तमान में चिप की आपूर्ति, मांग की तुलना में कम है। यदि चीन और ताइवान के बीच युद्ध शुरू होता है तो विश्व में कई वाहन निर्माताओं और कंज्यूमर इलेक्ट्रानिक्स कंपनियों का उत्पादन पूरी तरह से ठप पड़ सकता है। आज विभिन्न उत्पादों की आपूर्ति के लिए विश्व के कई देशों की निर्भरता चीन और ताइवान पर है। इसलिए भारत समेत दुनिया के अधिकांश देश चीन और ताइवान के बीच युद्ध नहीं चाहते हैं। ऐसे में चीन और ताइवान के बीच युद्ध होने से भारत की अर्थव्यवस्था भी दुष्प्रभावित हो सकती है।

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