उत्तराखंड; विधानसभा बैकडोर भर्ती में आरएसएस के बड़े पदाधिकारियों का नाम आने से पूरा कैडर असहज महसूस कर रहा है। इस मामले में संघ का कोई भी पदाधिकारी कुछ भी बोलने से बच रहा है। अभी तक इन भर्तियों को लेकर भाजपा, कांग्रेस के ही नेता निशाने पर थे। उत्तराखंड में यूकेएसएसएससी भर्ती घोटाले को कांग्रेस ने मु्द्दा बनाया हुआ है।
अब आरएसएस के बड़े पदाधिकारियों के नाम आने के बाद विवाद और बड़ा हो गया है। संघ के प्रांत और क्षेत्र स्तर के बड़े पदाधिकारियों पर अपने नजदीकी रिश्तेदारों को विधानसभा में बैकडोर से नौकरी दिलवाने के आरोप लग रहे हैं। इनमें से कई उत्तराखंड से बाहर के हैं। बड़े पदाधिकारियों के भर्ती विवाद में फंसने से संघ के भीतर भी बड़ा विवाद खड़ा हो गया है।
मिली जानकारी के अनुसार, परिवार से दूरी, समाज सेवा, सादा जीवन, सख्त अनुशासन हमेशा से संघ के प्रचारकों की पहचान रही है। संघ के धर्मपुर, राजपुर रोड से लेकर तिलक रोड स्थित संघ मुख्यालय में प्रचारकों, स्वयंसेवकों में भी यह यह चर्चा बनाी है। हालांकि कोई भी मीडिया से बोलने में कतरा रहा है। उत्तराखंड गठन के बाद ये पहला मौका है, जब किसी संघ पदाधिकारी का नाम भर्ती विवाद में सामने आया हो। इसने संघ के भीतर एक नई बहस को जन्म दे दिया है। इस भर्ती विवाद को लेकर संघ के निचले स्तर के स्वयंसेवकों से लेकर बड़े पदाधिकारी तक सकते में हैं। ऐसा संघ की गरिमा और परंपरा के खिलाफ माना जा रहा है।
विधानसभा में नियुक्तियों की जांच के लिए सीएम पुष्कर सिंह धामी द्वारा विस अध्यक्ष ऋतु खंडूड़ी को पत्र भेजने से अब कांग्रेस भी दबाव में है। इन भर्तियों की आंच कांग्रेस तक भी पहुंच रही है। प्रदेश में कांग्रेस प्रदेश में दो बार सत्ता में रही है। जिसमें पूर्व विस अध्यक्ष यशपाल आर्य और पूर्व विस अध्यक्ष गोविंद सिंह कुंजवाल के कार्यकाल में विधानसभा में बड़े पैमाने पर भर्तियां की गई हैं।
जाहिर तौर पर कांग्रेस नेता जांच की पैरवी तो कर रहे हैं, लेकिन अंदरखाने उन्हें खुद के घिरने का डर भी सता रहा है। प्रदेश अध्यक्ष करन माहरा सभी नियुक्तियों की जांच और कार्रवाई की मांग कर रहे हैं। वहीं पूर्व सीएम हरीश रावत का रुख कुंजवाल के प्रति नरम है। कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष करना माहरा का कहना है कि सीएम का विस अध्यक्ष को जांच के लिए पत्र लिखना ही पर्याप्त नहीं है।
भाजपा के जिन-जिन नेताओं और पदाधिकारियों ने अपने रिश्तेदारों को नौकरी पर लगाया, उनके इस्तीफे क्यों नहीं लिए जा रहे? गोविंद सिंह कुंजवाल पर कार्रवाई क्यों नहीं हो रही है? जनता माफ नहीं करेगी। भाजपा प्रदेश अध्यक्ष महेंद्र भट्ट ने भर्तियों को लेकर कांग्रेस के विरोध प्रदर्शन को आडंबर करार दिया। कहा कि कांग्रेस अपने कारनामों को भूलकर अब उपदेशक बन गयी है। प्रदेश अध्यक्ष महेंद्र भट्ट ने कहा की नैतिकता की दुहाई देने वाली कांग्रेस की सरकार में सबसे अधिक घोटाले, स्टिंग हुए।
विधानसभा नियुक्तियों पर हल्ला मचाने वाली कांग्रेस अपने कार्यकाल में हुए घपले को जायज ठहरा रही है। आरोप लगाया कि पूर्व सीएम हरीश रावत कैमरे पर उत्तराखंड को लूटने का लाइसेंस देते रंगे हाथ पकड़े गए हैं। अब वह दूसरों पर रंगे हाथ पकड़े जाने का झूठा आरोप लगा रहे हैं।
हाईकोर्ट के एडवोकेट चंद्रशेखर करगेती के अनुसार अध्यक्ष एस राजू की कार्यशैली पर पूर्व में भी कोर्ट सवाल उठा चुकी थी, फिर भी उन्हें नियुक्ति दी गई। इससे साफ है कि सरकार इन आयोगों की विश्वसनीयता के लिए कभी गंभीर नहीं रही। सबसे बड़ा दुर्भाग्यपूर्ण पटवारी भर्ती में निलंबित अधिकारी को आयोग के लिए चुने जाने के रूप में है। करगेती के मुताबिक इस मामले में तत्काल तत्कालीन अध्यक्ष एस राजू, सचिव संतोष बडोनी, परीक्षा नियंत्रक एनएस डांगी पर मुकदमा बनता है।
विधानसभा में हुई बैकडोर भर्तियों में एक सरगना का नाम भी चर्चाओं में आया है। कांग्रेस सरकार में यह सत्ता के ईद-गिर्द घूमता रहा तो वहीं, भाजपा सरकार में एक नेता के अचानक करीब आ पहुंचा। सूत्रों ने बताया कि पूर्व स्पीकर गोविंद सिंह कुंजवाल और प्रेमचंद अग्रवाल के कार्यकाल में विधानसभा में हुई भर्तियों का मास्टर माइंड यही व्यक्ति रहा है।
इसके मार्फत ही काफी संख्या में नौकरियां दी गईं। कांग्रेस सरकार में कुछ समय तक यह व्यक्ति सत्ता के बेहद करीब रहा और वहीं से अपना जाल फैलाना शुरू किया। चर्चा है कि इस व्यक्ति के मार्फत जितने भी नाम भेजे गए थे, वे सभी नियुक्ति पाने में सफल रहे।
संपादन: अनिल मनोचा