देहरादून; राजधानी में वाहनों को खड़ा करने के लिए मसूरी-देहरादून विकास प्राधिकरण (एमडीडीए) द्वारा मल्टी स्टोरी पार्किंग बनाने की योजना को तीन विभाग जलसंस्थान, नगर निगम और परिवहन विभाग के जमीन देने से इनकार करने के बाद जोर का झटका लगा है। एमडीडीए ने शहर में चार स्थानों पर मल्टी स्टोरी पार्किंग निर्माण करने की योजना बनाई थी, जबकि मसूरी और ऋषिकेश के लिए भी योजना थी, जिसमें ऋषिकेश में मल्टी स्टोरी पार्किंग बन चुकी है, जबकि मसूरी में जमीन मिलने के बाद भी अभी तक निर्माण शुरू नहीं हो पाया है।
मिली जानकारी के अनुसार, एमडीडीए ने जलसंस्थान परिसर और नगर निगम परिसर में पार्किंग बनाने का प्रस्ताव तैयार कर दोनों विभागों से निर्माण के लिए जमीन की दरकार की थी, लेकिन फिलहाल दोनों ही विभागों ने जमीन देने से इनकार कर दिया है। इसके अलावा रही सही कसर परिवहन निगम प्रबंधन ने पूरी कर दी है। अब परिवहन निगम प्रबंधन भी द्रोण होटल के बगल में स्थित पुराने बस अड्डे की जमीन देने से साफ इनकार कर दिया है, जबकि पुरानी तहसील स्थित जमीन में भी मल्टी स्टोरी पार्किंग के बाबत अभी तक स्थिति साफ नहीं हो पाई है। राजस्व विभाग के अधिकारियों की मानें, तो इस जमीन के मालिकाना हक को लेकर विवाद की स्थिति है।
राजधानी दून में वाहनों की पार्किंग की समस्या काफी गंभीर है। घंटाघर, राजपुर रोड, जाखन, चकराता रोड समेत ज्यादातर इलाकों में वाहन स्वामियों को गाड़ियां सड़कों पर खड़ी करनी पड़ रहीं, जिससे आए दिन जाम की स्थिति बनी रहती है। इस समस्या को देखते हुए एमडीडीए की ओर से जलसंस्थान परिसर, नगर निगम परिसर, पुराना बस अड्डा और पुरानी तहसील में मल्टी स्टोरी पार्किंग बनाने का प्रस्ताव तैयार किया गया था। नगर निगम प्रशासन ने तो बाकायदा बोर्ड बैठक में प्रस्ताव लाकर जमीन देने से हाथ खड़े कर दिए हैं।
दिलाराम चौक स्थित जल संस्थान परिसर, नगर निगम परिसर, पुरानी तहसील और द्रोण होटल के पास पुराना बस अड्डा। वहीं, मल्टी स्टोरी पार्किंग के लिए भले ही जलसंस्थान, नगर निगम और परिवहन विभाग ने अपनी जमीनें देने से एमडीडीए को मना कर दिया है, लेकिन राहत देने वाली बात यह है कि एमडीडीए की ओर से इंदिरा मार्केट का निर्माण कार्य कराया जा रहा है, जिसमें दुकानें बनाने के साथ ही एक हजार 50 वाहनों के पार्किंग के लिए मल्टी पार्किंग का निर्माण भी कराया जा रहा है।
मल्टी स्टोरी पार्किंग को लेकर विस्तृत प्रस्ताव तैयार किया कर दिया गया है, लेकिन जमीन नहीं मिलने की वजह से योजना को धरातल पर उतारने में काफी दिक्कतें आ रही हैं।