न्यूयॉर्क; दस दिवसीय यात्रा पर अमेरिका पहुंचे विदेश मंत्री एस जयशंकर ने संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के ढ़ांचे में बदलाव समेत कई सवालों का जवाब दिया। उन्होंने कहा है कि संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के स्थायी सदस्य के रूप में भारत का न शामिल न केवल हमारे लिए अच्छा है बल्कि वैश्विक निकाय के लिए भी अच्छा नहीं है। इसका बदलाव ओवरड्यू (समय से ज्यादा) है। उन्होंने इस पर जोर देते हुए कहा कि वह इस पर काम कर रहे हैं। वह इस सवाल का जवाब दे रहे थे कि भारत को संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद का स्थायी सदस्य बनने में कितना समय लगेगा।
भारत ने संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद का स्थायी सदस्य बनने के लिए काफी लंबे समय से विश्व के देशों के साथ लामबंदी कर रहा है। फिर भी इस पर रोक लगाई जा रही है। इसमें फिलहाल चीन और पाकिस्तान जैसे देश मुख्य अड़ंगा साबित हो रहे हैं। भारत के अलावा जापान, दक्षिण अफ्रीका, ब्राजील जैसे देश भी सुरक्षा परिषद के स्थायी सदस्य बनने की कतार में है।
विदेश मंत्री एस जयशंकर ने बुधवार को कहा कि जब मैंने कहा कि मैं इस पर काम कर रहा हूं तो मैं गंभीर था। जयशंकर कोलंबिया यूनिवर्सिटी के स्कूल ऑफ इंटरनेशनल एंड पब्लिक अफेयर्स के राज सेंटर में कोलंबिया यूनिवर्सिटी के प्रोफेसर और नीति आयोग के पूर्व वाइस चेयरमैन अरविंद पनगढ़िया से बातचीत कर रहे थे।
भारत संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में तत्काल लंबित सुधारों पर जोर देने के प्रयासों में सबसे आगे रहा है। इस बात पर जोर देते हुए उन्होंने कि वह स्थायी सदस्य के रूप में संयुक्त राष्ट्र की उच्च तालिका में शामिल होने का हकदार है। वर्तमान में UNSC में पांच स्थायी सदस्य हैं। पांच स्थायी सदस्य रूस, ब्रिटेन, चीन, फ्रांस और संयुक्त राज्य अमेरिका हैं और ये देश किसी भी मूल प्रस्ताव को वीटो कर सकते हैं। इसके अलावा सुरक्षा परिषद में 10 गैर स्थायी सदस्य देश शामिल हैं, जिन्हें संयुक्त राष्ट्र महासभा द्वारा दो साल के कार्यकाल के लिए चुना जाता है। पिछले कुछ सालों से समकालीन वैश्विक वास्तविकता को प्रतिबिंबित करने के लिए स्थायी सदस्यों की संख्या बढ़ाने की मांग लगातार बढ़ रही है।