उत्तराखण्ड; विधानसभा में नौकरियों के लिए न तो कोई विज्ञापन निकाला गया न ही चयन समिति बनी। न कोई परीक्षा हुई। केवल व्यक्तिगत पत्रों पर रेवड़ी की तरह नौकरियां बांटी गई। बैकडोर भर्तियों की जांच करने वाली विशेषज्ञ समिति ने जांच की तो भर्तियों की पोल परत-दर-परत खुलती चली गई।
मिली जानकारी के अनुसार, विधानसभा में पहुंच वालों के लिए नौकरी आसान रही। जांच समिति की रिपोर्ट में यह तथ्य सामने आया है कि 228 तदर्थ नियुक्तियों और 22 उपनल के माध्यम से नियुक्तियों में भर्तियों का कोई पैमाना नहीं था। जिसने भी पत्र लिखकर खुद के बेरोजगार होने का हवाला देते हुए नौकरी मांगी, उसे किसी भी पद पर नियुक्ति दे दी गई। सूत्रों के मुताबिक, जांच समिति ने यह भी तथ्य पकड़ा है कि कई पदों पर ऐसे युवाओं को नौकरी दी गई जो कि उस पद की अर्हता ही नहीं रखते थे।