पाकिस्तान में एफ-16 फिर सुर्खियों में है। इसकी बड़ी वजह यह है कि पाकिस्तान को एफ-16 लड़ाकू विमानों के उच्चीकरण के लिए 45 करोड़ डालर (3,651 करोड़ रुपये) की धनराशि स्वीकृत करने पर अमेरिका ने सफाई दी है। अमेरिका ने कहा है कि यह सहायता भारत को संदेश देने या चुनौती खड़ी करने के लिए नहीं बल्कि आतंकवाद के खिलाफ अभियान में अमेरिका के सहयोग के लिए पाकिस्तान को दी गई है। इससे पाकिस्तान के परमाणु हथियारों की भी सुरक्षा होगी। भारत ने एफ-16 को लेकर अपनी सुरक्षा पर सवाल उठाए हैं। इसके साथ ही राफेल की तुलना एफ-16 से की जा रही है।
अदृश्यता के मामले में राफेल कहीं बेहतर साबित हुआ है। रडार से बचने के मामले में भारतीय वायु सेना के बेड़े में शामिल राफेल एफ-16 से कहीं ज्यादा बेहतर और उम्दा है। अंतरराष्ट्रीय स्तर पर राफेल को इस मामले में 10 में से 9 रेटिंग मिली है, जबकि एफ-16 को 10 में ले 7.8 रेटिंग ही मिली है।
राफेल और एफ-16 दोनों लड़ाकू विमान हथियारों से लैस हैं। सवाल यह है कि किसके पास ज्यादा आधुनिक और ताकतवर हथियार हैं। अंतरराष्ट्रीय रेटिंग के अनुसार देखा जाए, तो राफेल यहां भी एफ-16 से आगे है। राफेल को 10 में से 8.6 रेटिंग दी गई है, जबकि एफ-16 को 10 में से 7.9 रेटिंग मिली है
भारतीय वायु सेना का राफेल करीब 60 हजार फीट प्रति मिनट की दर से ऊंचाई चढ़ सकता है, जबकि एफ-16 के ऊंचाई पर जाने का दर करीब 50 हजार फीट प्रति मिनट है। गति की बात की जाए तो राफेल करीब 2,223 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से उड़ सकता है, जबकि एफ-16 की गति करीब 2,414 किमी प्रति घंटा है।
आकार और ताकत के मामले में राफेल, एफ-16 से बेहतर है। राफेल के डैनों की लंबाई 10.90 मीटर, जबकि एफ-16 की 9.96 मीटर है। राफेल की लंबाई 15.30 मीटर और एफ-16 की 15.06 मीटर है। राफेल का कुल वजन 10 टन है, यह करीब 24.5 टन वजन के हथियार लेकर उड़ सकता है। वहीं, पाकिस्तान के एफ-16 का वजन 9.2 टन है। इसकी हथियार लेकर उड़ने की क्षमता महज 21.7 टन है।
रेंज यानी मारक क्षमता के मामले में भारतीय राफेल, एफ-16 से थोड़ा पीछे है। राफेल की रेंज करीब 3700 किमी है, जबकि एफ-16 की रेंज करीब 4220 किमी है। भारत का राफेल आधुनिक जेनरेशन का है। यह 4.5 जेनरेशन लड़ाकू विमान है। जबकि एफ-16 चौथी जेनरेशन का है। राफेल परमाणु हथियार ले जाने में सक्षम सेमी-स्टेल्थ लड़ाकू विमान है, जबकि पाकिस्तान के एफ-16 में यह सुविधा नहीं है।
दोनों विमानों की अपनी-अपनी क्षमता है। दोनों की अलग-अलग खूबियां है। रक्षा मामलों के जानकार डा अभिषेक सिंह का कहना है कि विमान का दम और ताकत इसे उड़ाने वाले फाइटर पायलट के ऊपर भी निर्भर करती है। भारतीयर वायुसेना के पायलट अभिनंदन इसका ताजा उदाहरण हैं। उन्होंने पुरानी तकनीक वाले मिग-21 लड़ाकू विमान से पाकिस्तान के आधुनिक एफ-16 को मार गिराया था। 1965 के भारत पाक जंग में पाकिस्तानी सेना उस समय के सर्वाधिक उन्नत विमानों, टैंकों और अन्य इन्फेंट्री से लैस थी। उस समय के अग्रणी विमान सैबर जेट पाकिस्तानी वायुसेना के बेड़े में शामिल थे। भारत के पास उससे आधे से भी कम क्षमता के विमान थे। इस जंग में भारतीय वायुसेना ने पाकिस्तानी वायुसेना की कमर तोड़ दी थी। अपराजेय मानी जाने वाली पाकिस्तानी पनडुब्बी को अरब सागर में जल समाधि दिलवा दी थी।
डा अभिषेक का कहना है कि पाकिस्तान अभी चीन के सहयोग से जेएफ-17 लड़ाकू विमान अपने वायुसेना में शामिल कर रहा है। एक जेएफ-17 की कीमत 15 मिलियन डॉलर है। राफेल का मुकाबला करने के लिए पकिस्तान को चेंगदू जे-20, शेनयांग एफसी -31 जैसे चीनी लड़ाकू विमानों को खरीदना होगा। खास बात यह है कि युद्ध में इन चीनी लड़ाकू विमानों का परीक्षण नहीं हुआ है। जंग के दौरान इन चीनी जेट लड़ाकू विमानों की क्षमताओं को देखना दिलचस्प होगा। चीन अभी खुद रूस से सुखोई-35 खरीद रहा हैं। पांचवी पीढ़ी के चेंगदू जे-20 विमान की कीमत भी लगभग 80 मिलियन डालर होगा। इसलिए पाकिस्तान अगले कुछ वर्षों में कोई उन्नत लड़ाकू विमान नहीं खरीद पायेगा।
अभी पाकिस्तान को फ्रांस और रूस लड़ाकू विमान बेच नहीं रहा है। शायद ब्रिटेन और जर्मनी भी यूरोफाइटर टाइफून पाकिस्तान को नहीं देगा और स्वीडेन भी ग्रिपेन शायद पाकिस्तान को नहीं देगा। अमेरिका ने तो पहले ही पाकिस्तान को उन्नत हथियार देना बंद कर दिया है। भारत आज दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा हथियार आयातक है। भारत रूस, फ़्रांस, अमेरिका, इसरायल इत्यादि देशों से लाखों करोड़ रुपये का हथियार खरीद रहा है इसलिए कोई भी देश या कंपनी भारत को नाराज कर पाकिस्तान को उन्नत लड़ाकू विमान नहीं बेचेगा। इसके बाद केवल चीन ही बचता है।
संपादन: अनिल मनोचा