उत्तराखंड; सपा संस्थापक व यूपी के तीन बार मुख्यमंत्री रहे मुलायम सिंह यादव के दामन पर भले ही राज्य आंदोलनकारियों के साथ ज्यादतियों की छींटें हों, लेकिन अलग राज्य उत्तराखंड और गैरसैंण को राजधानी बनाने को लेकर कदम बढ़ाने वाले सबसे पहले नेता भी वही थे। मुलायम सरकार ने ही जहां उत्तराखंड को बर्फिया लाल ज्वांठा के रूप में पहला कैबिनेट मंत्री दिया तो कैबिनेट मंत्री रमाशंकर कौशिक समिति बनाकर अलग राज्य की अवधारणा को आगे बढ़ाया।
मिली जानकारी के अनुसार, सपा के राष्ट्रीय सचिव डॉ. एसएस सचान के मुताबिक, मुख्यमंत्री मुलायम सिंह यादव ने अपने कार्यकाल में चार जनवरी 1994 को कैबिनेट मंत्री रमाशंकर कौशिक समिति का गठन किया। 12 जनवरी को इसकी पहली बैठक लखनऊ में हुई। 30 व 31 जनवरी को दूसरी बैठक कुमाऊं में, सात व आठ फरवरी को तीसरी बैठक पौड़ी में, 17 फरवरी को चौथी बैठक काशीपुर में, 15 मार्च को पांचवीं बैठक लखनऊ में हुई।
सभी सुझावों के आधार पर 30 अप्रैल को समिति ने अपनी रिपोर्ट सरकार को सौंप दी। दो जून को मुख्यमंत्री मुलायम सिंह यादव ने उत्तराखंड के लिए अतिरिक्त मुख्य सचिव की नियुक्ति की। 24 अगस्त को राज्य निर्माण विधेयक विधानसभा से पारित कराने के बाद सात सितंबर को केंद्र सरकार को भेज दिया था।
कौशिक समिति ने दस माह के भीतर अलग राज्य उत्तराखंड का 13 बिंदुओं का ड्राफ्ट तैयार किया। इसमें पर्वतीय राज्य उत्तराखंड और गैरसैंण राजधानी का जिक्र था। डॉ. सचान के मुताबिक, उत्तराखंड की विषम भौगोलिक परिस्थितियों को देखते हुए चकबंदी भू-बंदोबस्त और हिमाचल मॉडल की तर्ज पर उत्तराखंड के निर्माण की कल्पना की गई थी।
सपा नेता डॉ. सचान के मुताबिक, मुलायम सिंह यादव चाहते थे कि उत्तराखंड के पर्वतीय अंचलों को आरक्षण मिले, जो जाति नहीं बल्कि आर्थिकी के आधार पर हो। इस आरक्षण के आधार पर 27 फीसदी आरक्षण उत्तराखंड के पर्वतीय जिलों में मिलना था। डॉ. सचान के मुुताबिक, जिसका लाभ केंद्रीय सेवाओं में भी दिया जाना प्रस्तावित था, लेकिन आरक्षण के विरोध में उत्तराखंड में कई लोगों ने अपनी आवाज उठाई, जो राज्य आंदोलन के रूप में तब्दील कर दी गई।
भाजपा के विधायक मुन्ना सिंह चौहान 1996 में सपा के विधायक थे। उनका कहना है कि उन्होंने उत्तराखंड पुलिस फायरिंग की घटनाओं को लेकर ‘नेताजी’ से मतभेद के बाद सपा छोड़ दी थी। उन्होंने बताया कि 1994 से पहले, मुलायम सिंह इस पहाड़ी क्षेत्र में व्यापक रूप से लोकप्रिय नेता थे। उन्होंने उत्तराखंड की अवधारणा रखी और गैरसैंण को राज्य की राजधानी के रूप में चिह्नित किया। राज्य की प्रशासनिक आवश्यकताओं के लिए कार्य किया।
संपादन: अनिल मनोचा