पश्चिमी दिल्ली के छावला सामूहिक दुष्कर्म मामले के तीनों आरोपितों की फांसी की सजा को निरस्त करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने बरी कर दिया। इस पर पीड़ित परिवार ने निराशा जताई है। परिवार ने इंसाफ की लड़ाई जारी रखने की बात कही है।
मिली जानकारी के अनुसार, निर्भया दुष्कर्म कांड (16 दिसंबर, 2012) से लगभग दस माह पहले भी दिल दहलाने वाली वारदात हुई थी। कार सवार तीन युवकों ने छावला की रहने वाली 19 वर्षीय युवती को अगवा कर चलती कार में उसके साथ सामूहिक दुष्कर्म के दौरान दरिंदगी की थी। उस घटना ने भी देश को शर्मसार कर दिया था। बताया जा रहा है कि दिल्ली के छावला से हरियाणा के रेवाड़ी के बीच तकरीबन 70 किलोमीटर तक युवती के साथ दरिंदगी की गई।
घटनाक्रम के मुताबिक, 9 फरवरी, 2012 को जब बेटी काफी देर तक घर नहीं पहुंची तो गुमशुदा बेटी के पिता मदद के लिए पुलिस के पास पहुंचे थे। पुलिस वालों ने उन्हें कहा था कि युवती को ढूंढ़ने के लिए उनके पास वाहन नहीं हैं। पुलिस की हीलाहवाली के कारण तब तक आरोपित, पीड़िता को लेकर हरियाणा की सीमा में प्रवेश कर चुके थे। उसके बाद युवकों ने चलती कार में पीड़िता से बदसलूकी शुरू कर दी थी।
बताया जा रहा है कि रास्ते में आरोपितों ने एक ठेके से बीयर भी खरीदी थी। आरोपितों ने दुष्कर्म करने के साथ ही उसके शरीर पर कई जगह दांतों से भी काट लिया था और सिगरेट से जलाया भी था। इस दौरान पीड़िता कार के अंदर शोर मचाते हुए जान बचाने की गुहार लगाती रही, लेकिन शीशा बंद होने के कारण न तो किसी राहगीर को उसकी आवाज सुनाई दी, न ही आरोपितों का दिल पसीजा।
बदहवास हालत में पीड़िता ने जब आरोपितों से पानी पीने की इच्छा जताई, तब उनके दिमाग में उसकी हत्या करने की बात आई। उन्होंने पहले पीड़िता के आंखें फोड़ीं। दर्द से कराहने पर आरोपितों ने उसे रास्ते में एक जगह पानी पिलाया और बाद में उसी घड़े से सिर पर वार कर उसे जख्मी भी कर दिया।
इतने से भी दिल नहीं भरा, तो पेचकस को गाड़ी के साइलेंसर पर रखकर गर्म करने के बाद उससे भी उसे जलाया। दरिंदगी की हदें तो तब पार कर दी गईं, जब पीड़िता के प्राइवेट पार्ट को भी जला दिया और बीयर की बोतल तोड़कर उसके शरीर पर वार कर बुरी तरह घायल कर दिया।
मिली जानकारी के अनुसार, आरोपितों के पकड़े जाने पर उन्होंने कुबूल किया था कि उन्होंने पीड़िता पर कई वार किए थे। जब उन्होंने सुनिश्चित कर लिया कि उसकी मौत हो गई है, तब वे शव को रेवाड़ी में सुनसान जगह पर फेंककर भाग गए थे। घटना के पांच दिन बाद पुलिस ने रेवाड़ी से युवती का शव बरामद किया था।
पुलिस ने मामले की जांच शुरू की तो पता चला कि सभी आरोपित रवि, राहुल और विनोद हरियाणा के रहने वाले हैं। सभी ड्राइवर की नौकरी करते थे। रवि, पीड़िता से एकतरफा प्यार करता था। रवि की गिरफ्तारी के बाद पुलिस ने अन्य आरोपितों का पता लगाकर उन्हें दबोचा था। दिल्ली पुलिस ने मामले को ‘दुर्लभतम’ बताते हुए दोषियों के लिए फांसी की मांग की थी।
रवि कुमार, राहुल और विनोद पर फरवरी 2012 में युवती के अपहरण, सामूहिक दुष्कर्म और बेरहमी से उसकी हत्या करने का आरोप था। युवती का क्षत-विक्षत शरीर अपहरण के तीन दिन बाद मिला था। यह हरियाणा के रेवाड़ी के रोधई गांव के खेतों में मिला था।
पुलिस ने अदालत में कहा था कि एक आरोपित ने युवती के समक्ष दोस्ती का प्रस्ताव रखा था, जब उसने ठुकरा दिया तो बदले की भावना से इस क्रूर वारदात को अंजाम दिया गया। सोमवार को फैसला सुनाते हुए शीर्ष अदालत ने कहा कि केस में कई खामियां देखने को मिली हैं।
पाया गया कि अभियोजन पक्ष द्वारा परीक्षण किए गए 49 गवाहों में से 10 गवाहों से जिरह ही नहीं की गई। यही नहीं, कई अन्य महत्वपूर्ण गवाहों से बचाव पक्ष के वकील द्वारा पर्याप्त रूप से जिरह नहीं की गई। जस्टिस त्रिवेदी ने कहा हमने पाया कि अपीलकर्ता-आरोपितों को निष्पक्ष सुनवाई के उनके अधिकारों से वंचित किया गया था। इसके चलते उन्हें संदेह के आधार पर बरी किया जाता है।
संपादन: अनिल मनोचा