May 25, 2025

Devsaral Darpan

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उत्तराखण्ड- धामी सरकार के बजट को दिशाहीन, विकास विरोधी और मंहगाई व बेरोजगारी बढ़ाने वाला, करन माहरा ने कहा !!

उत्तराखण्ड; उत्तराखंड कांग्रेस अध्यक्ष करन माहरा ने धामी सरकार के बजट को दिशाहीन, विकास विरोधी और मंहगाई व बेरोजगारी बढ़ाने वाला बताया है। माहरा ने कहा कि यह बजट राज्य की आर्थिक वृद्धि पर चोट पहुंचाने वाला है। वित्त मंत्री ने बजट में नई बोतल में पुरानी शराब वाला फार्मूला अपनाया है।

माहरा ने कहा कि बजट में कुछ भी नया नहीं है। बजट में महंगाई, बेरोजगारी व पलायन रोकने के कोई प्रावधान नहीं किया गया है। बजट का आकार बढ़ाया गया है लेकिन आय के श्रोत नहीं बताए गए हैं। ऐसे विभाग जो गांव, गरीब, दलित व कमजोर तबके को लाभ पहुंचाने वाले हैं, उनके बजट में आंकड़ों की जादूगरी के सिवा कुछ नहीं किया गया है। पर्यटन, महिला सुरक्षा, नौजवानों के भविष्य की घोर उपेक्षा की गई है।

विगत वर्ष की तरह इस बजट में भी गरीब छात्र-छात्राओं के लिए लैपटॉप, साइकिल योजना और स्वास्थ्य के क्षेत्र में कोरी घोषणाएं की गई हैं। क्लस्टर विद्यालय खोलने की बजट में बात की गई है लेकिन पर्वतीय एवं ग्रामीण क्षेत्र में विद्यार्थी विहीन विद्यालयों की दशा सुधारने के लिए कुछ नहीं किया गया है।

माहरा ने कहा कि चारधाम यात्रा में मूलभूत सुविधाओं के लिए 10 करोड़ के बजट की घोषणा ऊंट के मुंह में जीरे के समान है। वहीं राज्य के मुख्य आय के स्रोत पर्यटन के लिए बजट में नाममात्र की घोषणा की गई है। बजट घाटे की पूर्ति के लिए आय का कोई स्रोत नहीं सुझाया गया है। कुल मिलाकर बजट में कर्ज लेकर घी पीने की कहावत चरितार्थ की गई है।

नेता प्रतिपक्ष यशपाल आर्य ने कहा कि धामी सरकार की ओर से विधानसभा में प्रस्तुत 76 हजार 592 करोड़ का बजट उधार का बजट है। इसमें शिक्षा, स्वास्थ्य, आधारभूत संरचना निर्माण, रोजगार सजृृन आदि के लिए कुछ नहीं किया गया है।

आर्य ने कहा कि चिंता की बात यह है कि सरकार के बजट के अनुसार राज्य पर इस वित्तीय वर्ष के अंत तक एक लाख 34 हजार 749 करोड़ रुपये की उधारी चढ़ जाएगी। वर्ष 2017 तक प्रदेश पर केवल 35 हजार करोड़ रुपये का कर्ज और देनदारी थी। इसके बाद प्रदेश में भाजपा सरकार बनने के बाद इस साल तक सरकार ने 99 हजार 749 करोड़ रुपये का कर्ज लिया है। इसलिए उत्तराखंड राज्य पर कर्ज उसके सालाना बजट के आकार से कहीं अधिक हो गया है।

कर्ज और देनदारी को कुल सकल घरेलू उत्पाद यानी जीएसडीपी का 25 प्रतिशत तक रखने की राजकोषीय उत्तरदायित्व एवं बजट प्रबंधन अधिनियम (एफआरबीएम) की सीमा को उत्तराखंड 2019-2020 में ही लांघ चुका है। इस वित्तीय वर्ष में यह 35 प्रतिशत से अधिक हो जाएगा। कर्ज में डूबे इस बजट से राज्य के युवाओं, किसानों और आम आदमी को कोई उम्मीद नहीं रखनी चाहिए।

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