ऋषिकेश; राफ्टिंग के दौरान गो-प्रो कैमरे का प्रयोग पर्यटकों की जान पर भारी पड़ रहा है। राफ्ट व्यवसायी अधिक मुनाफा कमाने के फेर में हेल्पर के बजाय गाइड को ही कैमरा पकड़ा रहे हैं। नियमानुसार गो-प्रो कैमरे का इस्तेमाल गाइड के साथ बैठा हेल्पर ही कर सकता है, पर यहां इसके उलट गाइड ही गो-प्रो कैमरा लिये रहता है।
राफ्ट संचालन के दौरान गाइड का ध्यान वीडियोग्राफी पर रहता है। इस कारण रैपिड में राफ्ट पलटने की संभावना अधिक रहती है। अब तक रैपिड में कई राफ्टें असंतुलित होकर पलट चुकी हैं, जिससे कई पर्यटकों की जान जा चुकी है। जिला पर्यटन विभाग टिहरी इस ओर कार्रवाई करने के बजाय तमाशबीन बना हुआ है।
मालूम हो कि हरियाणा, दिल्ली, राजस्थान, पश्चिम बंगाल, महाराष्ट्र समेत विभिन्न प्रांतों के पर्यटक साहसिक खेल राफ्टिंग का लुत्फ उठाने के लिए मुनि की रेती, तपोवन, लक्ष्मणझूला, स्वर्गाश्रम आदि क्षेत्रों में आते हैं। ये पर्यटक राफ्ट संचालकों से गो-प्रो कैमरा भी किराये पर लेते हैं ताकि राफ्टिंग के रोमांच को कैमरे में कैद कर सकें। इसके बदले राफ्ट संचालक लगभग डेढ़ हजार रुपये तक अधिक वसूलते हैं।