हरिद्वार; कांवड़ यात्रा शुरू होने के दो दिन बाद ही कांवड़ पटरी से लेकर हाईवे बाईपास तक पूरा मार्ग भगवा हो गया है। कांवड़िये कंधों पर कांवड़ लिए बम-बम भोले और हर-हर महादेव के उद्षोघ करते हुए आगे बढ़ रहे हैं। वहीं यात्रा में अब कांवड़ियों के विभिन्न रंग नजर आने लगे हैं। किसी के कंधे पर गंगाजल की मटकियां है तो कोई कंधे पर शिवलिंग उठाकर आगे बढ़ रहा है। बारिश से लेकर तेज धूप भी कांवड़ियों के मार्ग की बाधा नहीं बन पा रहे हैं।
कांवड़ मेले में लगातार शिवभक्त हरिद्वार पहुंच रहे हैं। मेले के तीसरे दिन 10 लाख 50 हजार कांवड़ियों ने गंगाजल भरा और अपने गंतव्य के लिए रवाना हो गए। बृहस्पतिवार की दोपहर से पंचक लगने के बाद कांवड़ियों के कदम रूक गए हैं। बेहद कम संख्या में शिवभक्त कांवड़ उठा रहे हैं। 10 जुलाई की शाम को पंचम खत्म होगी। पंचम खत्म होते ही बड़ी संख्या में कांवड़ लेकर शिवभक्त रवाना होंगे।
तीन दिन के अंदर 20 लाख 10 हजार कांवड़िये गंगाजल भरकर रवाना हो चुके हैं। पहले दिन 1.10 लाख और दूसरे दिन 8.50 लाख कांवड़ियों ने गंगाजल भरा था। अब तीसरे दिन 10 लाख 50 हजार शिवभक्त गंगाजल लेकर रवाना हुए हैं।
बुधवार मध्य रात्रि से बृहस्पतिवार की दोपहर तक हुई बारिश के चलते कांवड़ियों को परेशानी उठानी पड़ी। किसी तरह से बारिश के बीच ही कांवड़िये आगे बढ़ते रहे। अब बृहस्पतिवार की दोपहर से पंचक लगने से शिवभक्तों के कदम रूक गए हैं।
धार्मिक मान्यता के अनुसार पंचक लगने के बाद अधिकांश शिवभक्त कावंड़ नहीं उठाते हैं और पंचम खत्म होने पर ही कांवड़ लेकर जाते हैं। 10 जुलाई की शाम को पंचक खत्म होगी। हालांकि अभी भी काफी संख्या ऐसे कांवड़िये देखे जा रहे हैं जो पंचक शुरू होने के बावजूद भी कांवड़ लेकर रवाना हो रहे हैं।
इस बार कांवड़ में भी कांवड़ियों के विभिन्न रंग दिखाई दे रहे हैं। इस बार कांवड़िये 50 लीटर से लेकर 250 लीटर तक जल लेकर आगे बढ़ रहे हैं। कोई कांवड़िया शिवलिंग को सिर पर रखकर आगे बढ़ रहा है तो किसी ने शिवमूर्ति को कंधे पर बैठाया हुआ है। कोई पग नापते हुए आस्था पथ पर आगे बढ़ रहा है। इस तरह की कांवड़ स्थानीय लोगों का ध्यान भी अपनी ओर खींच रही है। बृहस्पतिवार को सुबह बारिश तो दोपहर बाद तेज धूप होने के बावजूद कांवड़िये बम-बम भोले और हर-हर महादेव के जयकारे लगाते हुए बढ़ रहे हैं।