उत्तरकाशी टनल हादसा; अमेरिकन ऑगर मशीन भी बुधवार को काफी तेजी से चली। वैसे तो इस मशीन की ड्रिल स्पीड 5 मीटर प्रति घंटा है लेकिन मामूली अड़चनों के बीच पहली बार सुरंग के भीतर ये मशीन 1.8 से 2 मीटर प्रति घंटा की रफ्तार से चली।
विशेषज्ञों का कहना है कि ड्रिल मशीन की गति से काम करना सुरंग के भीतर के मलबे की वजह से मुश्किल था। रात 12 बजे से जब ड्रिल मशीन शुरू हुई तो सुबह 11 बजे तक उसने 800 मिमी पाइप को मलबे में 18 मीटर तक पहुंचा दिया।
यानी करीब 10 से 11 घंटे में 18 मीटर। एनएचआईडीसीएल के निदेशक अंशु मलिक खल्खो का कहना है कि मशीन की गति 5 मीटर प्रति घंटा होती है लेकिन यहां अभी तक यह गति नहीं मिल पाई थी। हालांकि 2 मीटर प्रति घंटे तक की स्पीड भी बड़ी कामयाबी की ओर ले जाने वाली साबित हुई।
तीन बजे मलबा आया तो काम रोका : दिन में करीब तीन बजे अचानक मलबा आ जाने से काम रोकना पड़ा। हालांकि ये मलबा हल्का था, जिसे हटाकर दोबारा काम शुरू किया गया। खबर लिखे जाने तक ड्रिल का काम जारी था।