उत्तराखण्ड; आगामी वित्तीय वर्ष तक केंद्र सरकार से राज्य को मिलने वाला राजस्व घाटा अनुदान घटकर आधा रह जाएगा। सरकार को अपने खर्च को संभालने में राजस्व घाटा अनुदान से अभी काफी मदद मिल रही है। इसके कम हो जाने के बाद उसके लिए वित्तीय चुनौती बढ़ जाएगी।
राजस्व प्राप्ति के इस अंतर को पाटने के लिए सरकार राजस्व बढ़ाने के नए स्रोतों की तलाश कर रही है। साथ ही उन स्रोतों पर भी फोकस कर रही है, जहां से सरकार को अपेक्षा के अनुरूप राजस्व प्राप्त नहीं हो पा रहा है। हाल ही में नदी, तालाब, झरनों से निकलने वाले पानी के व्यावसायिक इस्तेमाल पर शुल्क लगाने का सरकार का फैसला इसी रणनीति का हिस्सा माना जा रहा है।
अगले दो साल में शून्य हो जाएगा राजस्व घाटा अनुदान : राज्य को हजारों करोड़ में मिल रहा राजस्व घाटा अनुदान 2026-27 में शून्य हो जाएगा। साल दर साल राजस्व घाटा अनुदान की राशि कम होती जा रही है। 2021-22 में यह 7,772 करोड़ रुपये थी, जो 2024-25 में घटकर 4,916 हो चुकी है। अनुदान की राशि जैसे-जैसे कम हो रही है, सरकार पर इसकी भरपाई करने का दबाव बढ़ रहा है।