उत्तराखंड; सूचना का अधिकार (आरटीआई) कानून के करंट से हरिद्वार स्थित हर की पैड़ी पर सालों से बंद पड़ी 15 स्ट्रीट लाइट रोशन हो गईं। इन खंभों से पथ प्रकाश सुचारू कराने की बहुत कवायद हुई लेकिन सड़क से लेकर संबंधित विभागों की कार्यप्रणाली पर लंबे समय तक अंधेरा पसरा रहा। शिकायतकर्ता ने मुख्यमंत्री कार्यालय में भी शिकायत की।
इस दौरान लाइटों को ठीक करने के दावे तो हुए लेकिन रोशनी नहीं। आखिरकार शिकायतकर्ता ने आरटीआई का सहारा लिया। राज्य सूचना आयोग में अपील के चलते विभागीय दावों की पोल खुल गई।सुनवाई के दौरान यह सामने आया कि सालों पहले लगाए गए खंभों पर लंबे समय से लाइटें बंद थीं, जिससे सार्वजनिक धन का दुरुपयोग हो रहा था। साथ ही स्थानीय निवासियों व यात्रियों को परेशानी का सामना करना पड़ रहा था।
मामले की गंभीरता को देखते हुए राज्य सूचना आयुक्त योगेश भट्ट ने वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए हर की पैड़ी का निरीक्षण करने का निर्णय लिया। क्षेत्र के सुपरवाइजर और विभाग के संबंधित ठेकेदार को मौके पर सत्यापन कराने के निर्देश दिए।
मुद्दे को सफलतापूर्वक अंजाम तक पहुंचाया : सत्यापन के दौरान सभी 15 पोलों पर प्रकाश व्यवस्था सुचारू हुई। जिसे आयोग और अपीलकर्ता ने भी टीवी स्क्रीन पर देखा। ठेकेदार ने आयोग को बताया कि तकनीकी कारणों से सभी पोलों की लाइटें एक साथ बंद हो जाती थीं लेकिन अब इस समस्या का समाधान कर लिया गया है।
आयोग ने इस मामले में अपीलकर्ता रमेश चंद्र के प्रयासों की सराहना की। जिन्होंने सूचना अधिकार का उपयोग कर एक महत्वपूर्ण जनहित के मुद्दे को सफलतापूर्वक अंजाम तक पहुंचाया। उन्होंने पथ प्रकाश व्यवस्था से संबंधित पांच बिंदुओं पर सूचना मांगी थी।