क्रिकेट हरभजन सिंह ने गत दिवस सभी तरह के क्रिकेट से संन्यास लेने की घोषणा कर दी। इसके साथ ही यह चर्चाएं भी एक बार फिर होने लगी हैं कि क्या हरभजन सिंह राजनीति में कदम रखने जा रहे हैं। कुछ दिनों पहले हरभजन सिंह ने पंजाब कांग्रेस प्रधान नवजोत सिंह सिद्धू से भी मुलाकात की थी। आज जालंधर में मीडियाकर्मियों ने भज्जी से जब इस संबंध में पूछा तो उन्होंने कहा, ”मैंने अभी इस बारे में कुछ नहीं सोचा है। मुझे अलग-अलग पार्टियों से शामिल होने के ऑफर मिले हैं। मैंने नवजोत सिंह सिद्धू से बतौर क्रिकेटर मुलाकात की थी।’
हरभजन सिंह ने कहा कि वह सभी पार्टियों के नेताओं को जानते हैं। अगर वह पालिटिक्स में एंट्री करेंगे तो मीडिया को जरूर बताएंगे। चाहे वह राजनीति हो या कुछ दूसरा रास्ता, उनका मकसद पंजाब की सेवा करना है। वह अब तक किसी निर्णय पर नहीं पहुंचे हैं। बता दें, पिछले दिनों सिद्धू से मुलाकात के बाद भी हरभजन के राजनीति में कूदने की चर्चाएं थी, लेकिन बाद में भज्जी ने इस पर खुद विराम लगा दिया था, लेकिन अब भज्जी के क्रिकेट से संन्यास लेने के बाद एक बार फिर इन चर्चाओं ने जन्म ले लिया है।
बताया जा रहा है कि भज्जी की राजनीति में कूदने को लेकर भाजपा, कांग्रेस व अन्य दलों से बातचीत चल रही है, लेकिन अभी वह पत्ते नहीं खोलना चाहते। सूत्रों के मुताबिक भज्जी भाजपा से छह महीने से संपर्क में हैं। कांग्रेस के प्रदेश प्रधान नवजोत सिंह सिद्धू से भी उनकी मुलाकात हो चुकी है। बताया जा रहा है कि आप के कुछ नेता भी भज्जी के संपर्क में हैं, लेकिन भज्जी अभी फैसला नहीं कर पाए हैं। प्रेस कांफ्रेंस में जिस तरह से भज्जी ने कहा कि वह पंजाब की सेवा करना चाहते हैं उससे संकेत मिलते हैं कि वह राजनीति में कूदकर यह करना चाहते हैं।
भज्जी ने ऐसे मौके पर क्रिकेट से संन्यास लिया है, जब पंजाब के विधानसभा चुनाव नजदीक हैं। ऐसे में यह चर्चाएं उठना कि वह राजनीति में जा सकते हैं कहीं न कहीं मजबूत हैं। क्रिकेट करियर को विराम देकर राजनीतिक पारी शुरू करने का यह उनके लिए बेहतरीन मौका साबित हो सकता है। वह किस पार्टी में जाएंगे यह अभी भविष्य के गर्भ में छुपा है।
बता दें, भाजपा के सीनियर नेताओं से भज्जी की मुलाकात की चर्चा के बाद नवजोत सिंह सिद्धू ने भज्जी के साथ ट्विटर पर एक फोटो शेयर की थी। इसके बाद चर्चाओं को और बल मिला था। सिद्धू ने इस फोटो के साथ कमेंट किया था कि यह संभावनाओं वाली फोटो है और इससे संकेत मिलता है कि भज्जी कांग्रेस के भी करीब हैं और भाजपा के भी।