December 23, 2024

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एम्स ऋषिकेश- बेड न मिलने से बारह दिन के शिशु की मौत, पिता ने वीडियो जारी कर मांगा इंसाफ

ऋषिकेश;  अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान ऋषिकेश बीते सोमवार को गंभीर अवस्था में लाए गए एक 12 दिन के शिशु को भर्ती करने के लिए बच्चों के आइसीयू में बेड नहीं मिला। शिशु के पिता उसे हिमालयन हास्पिटल जौलीग्रांट ले गए।

बच्चे ने रास्ते में ही दम तोड़ दिया। शिशु के पिता ने इंटरनेट मीडिया पर वीडियो वायरल कर इस घटना के लिए एम्स प्रशासन को दोषी ठहराया है और इंसाफ की मांग की है। एम्स के चिकित्सा अधीक्षक के मुताबिक बच्चे को आक्सीजन और प्राथमिक सुविधाएं उपलब्ध कराई गई थी। बेड उपलब्ध ना होने के कारण उसे कहीं और जाने के लिए कहा गया था।

रुड़की निवासी भूपेंद्र सिंह गुसाईं मूल रूप से श्रीनगर गढ़वाल के रहने वाले हैं। बीते सोमवार की शाम को वह अपने 12 दिन के शिशु को गंभीर अवस्था में एम्स ऋषिकेश की बाल रोग विभाग की इमरजेंसी में लेकर आए थे। भूपेंद्र सिंह गुसाई के मुताबिक उन्हें यहां पर काफी इंतजार करवाया गया।

बच्चे को आइसीयू बेड की जरूरत थी, आखिर में कह दिया गया कि हमारे यहां बेड खाली नहीं है। इसलिए बच्चे को कहीं और ले जाओ। जिसके बाद वह मजबूरी में यहां से अपने शिशु को लेकर हिमालयन हास्पिटल जौलीग्रांट  के लिए रवाना हुए। बच्चे ने रास्ते में ही दम तोड़ दिया। उन्होंने बताया कि उनका एक ही बच्चा था।

भूपेंद्र सिंह ने अपनी यह व्यथा वीडियो के जरिए इंटरनेट मीडिया पर जारी की है। जिसमें उन्होंने कहा कि उनकी नजर में एम्स ऋषिकेश बहुत बड़ा संस्थान है। इसलिए रुड़की से बच्चे के इलाज के लिए यहां ले कर आए थे।

बच्चे के पेट में इंफेक्शन था और उसका पेट काफी फुला हुआ था। लेकिन उन्हें यह जवाब मिला कि बेड खाली नहीं है, बच्चे को कहीं और ले जाओ। उन्होंने इस स्थिति के लिए एम्स प्रशासन को दोषी ठहराते हुए न्याय की मांग की है।

नवजात शिशु की मौत के मामले में अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान के चिकित्सा अधीक्षक प्रोफेसर संजीव मित्तल ने बयान जारी किया है।

बच्चे के पेट में इंफेक्शन था और उसका पेट काफी फुला हुआ था। लेकिन उन्हें यह जवाब मिला कि बेड खाली नहीं है, बच्चे को कहीं और ले जाओ। उन्होंने इस स्थिति के लिए एम्स प्रशासन को दोषी ठहराते हुए न्याय की मांग की है।

नवजात शिशु की मौत के मामले में अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान के चिकित्सा अधीक्षक प्रोफेसर संजीव मित्तल ने बयान जारी किया है।

बीते रोज एक 12 दिन के नवजात शिशु को अन्यत्र ले जाने के प्रकरण पर एम्स अस्पताल प्रशासन ने कहा है कि उस दिन बच्चे को आक्सीजन सपोर्ट में रखकर अस्पताल की इमरजेन्सी में भर्ती किया गया था।

बच्चे को तत्काल आइसीयू बेड की आवश्यकता थी और उस समय बच्चों के वार्ड में आइसीयू बेड खाली नहीं था। इसलिए नवजात बच्चे को अन्यत्र ले जाने की स्थिति उपजी है।

चिकित्सा अधीक्षक ने एम्स अस्पताल के न्यूनेटल इन्टेन्सिव केयर यूनिट ( निक्कू ) में आइसीयू बेड की स्थिति के बारे में बताया कि पीडियाट्रिक वार्ड के न्यूनेटल इन्टेन्सिव केयर यूनिट में आइसीयू बेड बहुत ही सीमित हैं। कई बार ऐसी स्थिति भी आ जाती है कि आइसीयू बेड खाली न होने से बच्चे का तत्काल इलाज करना मुश्किल हो जाता है।

बताया कि उस समय पीडियाट्रिक वार्ड की इस यूनिट में पहले से ही गंभीर स्थिति वाले कई बच्चे एडमिट थे और कोई भी आइसीयू बेड खाली नहीं था। इसलिए तत्कालिक स्थिति को देखते हुए बच्चे के परिजनों को इलाज हेतु उसे अन्यत्र अस्पताल ले जाना पड़ा।

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