कनाडा; मिली जानकारी के अनुसार पता चला है कि पंजाब के कुख्यात गैंगस्टर कनाडा में मौज फरमा रहे हैं। पंजाबी गैंग सड़कों पर खून बहा रहा है। कनाडा की जस्टिन ट्रूडो सरकार के लिए खालिस्तानियों, आईएसआई जासूसों और गैंगस्टरों पर नरमी बरतना अब बड़ी परेशानी बन कर सामने आया है। साल 2017 में छात्र वीजा पर कनाडा पहुंचे गोल्डी बराड़ को कानूनी सुरक्षा देने के लिए खालिस्तानी संगठन एसएफजे सामने आया है। गोल्डी बराड़ का संबंध मई में सिद्धू मूसेवाला की हत्या में सामने आया था। पंजाब के कबड्डी खिलाड़ी संदीप सिंह के हत्यारे कनाडा में पनाह लिए हैं। इन गैंग पर कनाडा पुलिस नकेल कसने में नाकाम रही लेकिन अब दस से ग्यारह लोगों की हिट लिस्ट जारी की है। गौर करने वाली बात यह है कि इस लिस्ट में दस से ग्यारह में से नौ पंजाबी मूल के हैं।
जिस तरह मई में पंजाबी गायक सिद्धू मूसेवाला की गोली मारकर हत्या की गई। इस हत्याकांड में लॉरेंस बिश्नोई तो पंजाब पुलिस की पकड़ में है लेकिन, बिश्नोई का सहयोगी गोल्डी बराड़ कनाडा में उत्पात मचा रहा है। साल 2017 में छात्र वीजा पर कनाडा पहुंचा बराड़ अब स्थानीय पुलिस के लिए बड़ी चुनौती बन गया है। कनाडा में हाल ही में पच्चहत्तर वर्षीय सिख नेता रिपुदमन सिंह मलिक की हत्या की गई थी। इस हत्याकांड ने साबित कर दिया है कि कनाडा में पंजाबी गिरोहों एक बार फिर ऐक्टिव हो गया है।
मिली जानकारी के अनुसार, यह रिकॉर्ड पर है कि प्रतिबंधित सिख फॉर जस्टिस के संस्थापक गुरपतवंत पन्नून ने खुले तौर पर मूसेवाला के हत्यारों को कानूनी सुरक्षा का आश्वासन दिया और अभी भी बरार या पन्नून के खिलाफ कोई कार्रवाई शुरू नहीं की गई है। मलिक की हत्या के मामले में इक्कीस साल के टान्नर फॉक्स और तेईस साल के जोस लोपेज पर फर्स्ट-डिग्री हत्या का आरोप लगाया गया है। मलिक की पन्द्रह जून को ब्रिटिश कोलंबिया में गोली मारकर हत्या कर दी गई थी।
मिली जानकारी के अनुसार, एक रिपोर्ट बताती है कि कनाडा में हिंसा और हत्या करने वाले गैंगस्टरों में पंजाब के युवा बड़ी संख्या में शामिल हैं। कनाडा पुलिस की ओर से जारी हिट लिस्ट में कुल ग्यारह नाम हैं, जिसमें अकेले नौ पंजाब के रहने वाले हैं। वैंकूवर पुलिस और बीसी रॉयल कैनेडियन माउंटेड पुलिस के साथ ब्रिटिश कोलंबिया (सीएफएसईयू-बीसी) की संयुक्त सेना विशेष प्रवर्तन इकाई ने सार्वजनिक चेतावनी जारी की है। पुलिस का मानना है कि पंजाबी-कनाडाई आपराधिक गिरोह कनाडा में स्थित एक समुदाय में बनते हैं और मुख्य रूप से पंजाबी जातीय मूल के युवा व्यक्तियों से बने होते हैं।
मिली जानकारी के अनुसार, सात कुख्यात गैंगस्टर, जिनमें से पांच ‘ए’ श्रेणी के साथ हिट लिस्ट में शामिल हैं। वे सभी पंजाब पुलिस द्वारा हत्या, लूट, जबरन वसूली और अपहरण के मामलों में वांछित हैं, लेकिन वर्षों से कनाडा में आसानी से छिपे हुए हैं।
मिली जानकारी के अनुसार, सच्चाई यह है कि ये गैंगस्टर कट्टरपंथी संगठनों के साथ मिलकर काम कर रहे हैं, जो पंजाब में आतंकी ऑपरेशन और हत्याओं को अंजाम देने के अलावा जबरन वसूली के लिए कॉल कर रहे हैं। यह सबकुछ भारत में कानून-प्रवर्तन एजेंसियों के लिए चीजों को और अधिक जटिल और कठिन बना रहा है क्योंकि क्योंकि उन्हें भारत में प्रत्यर्पित करने से पहले कानूनी कार्रवाई का सामना करना सबसे कठिन काम है।
मिली जानकारी के अनुसार, कनाडा के अधिकारियों को ठोस सबूत देने के बावजूद भारत के लिए इन गैंगस्टरों को वापस लाना पहाड़ चढ़ने से कम नहीं है। कनाडा, ब्रिटेन और अन्य पश्चिमी देश “पर्याप्त सबूत की कमी” के बहाने के साथ भारत में आतंकी गतिविधियों को अंजाम देने वाले अपराधियों को आसानी से नहीं भेजते। इसका अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि पंजाब मूल के दो व्यक्तियों, एक महिला और उसके भाई को कनाडा से एक लड़की की “ऑनर किलिंग” के लिए प्रत्यर्पित करने में भारत को लगभग दो दशक लग गए।
मिली जानकारी के अनुसार, कनाडा सरकार उड्डयन इतिहास में सबसे बड़ी घटना के तहत साल 1985 में एयर इंडिया की कनिष्क बमबारी हुई थी। इस हमले में 329 लोग हवा में ही मारे गए थे। इस मामले की उचित जांच और परीक्षण करने में कनाडा सरकार विफल रही। खालिस्तानियों के खिलाफ कार्रवाई करने के लिए कनाडा की अनिच्छा को ‘वोट बैंक की राजनीति’ के रूप में देखा जा सकता है। इसके पीछे का कारण सिखों द्वारा भारी ‘चुनावी फंडिंग’ दिया जाना है। रिपोर्ट यह भी कहती है कि सिख फॉर जस्टिस, गुरपतवंत पन्नून और हरदीप सिंह निज्जर कनाडा से बिना डर के कथित तौर पर भारत विरोधी गतिविधियों को अंजाम दे रहे हैं।
मिली जानकारी के अनुसार, हाल ही में, पुलिस ने रिपुदमन मलिक की दिनदहाड़े हत्या में गैंगस्टर से आतंकवादी बने अर्श दल्ला के शामिल होने का दावा किया था। हालांकि अधिकारियों ने हत्यारों को गिरफ्तार कर लिया, लेकिन उन्होंने हत्या के मास्टरमाइंड के लिंक, मकसद और विवरण साझा करने से इनकार कर दिया। कनाडा के अधिकारी भी अब तक इस तथ्य का संज्ञान लेने में विफल रहे हैं कि मलिक को पन्नून के एक गुर्गे हरदीप निज्जर और एक अन्य कट्टरपंथी खालिस्तानी मोनिंदर बॉयल द्वारा धमकी दी जा रही थी। मलिक की हत्या के बाद ब्रिटिश कोलंबिया क्षेत्र में पंजाबियों के बीच गैंगवार की कई घटनाएं हुई, जो कि कनाडा पुलिस और सरकार के फेलियर को दिखाता है।
मिली जानकारी के अनुसार, अधिकारियों ने मलिक की हत्या में अन्य संदिग्धों के खिलाफ भी अभी तक कोई कार्रवाई शुरू नहीं की। जिसमें गुरविंदर सिंह धालीवाल, निज्जर के करीबी सहयोगी, गुरप्रीत सिंह सहोता, चैनल पंजाबी में एक टीवी होस्ट समेत कई शामिल हैं। कबड्डी खिलाड़ी संदीप सिंह के हत्यारे अब भी ब्रैम्पटन में बेखौफ रह रहे हैं।
मिली जानकारी के अनुसार, यह भी एक खुला रहस्य है कि पाकिस्तान की ISI की मौजूदगी पूरे कनाडा में बड़ी संख्या में है। जासूसी एजेंसी भारत विरोधी और खालिस्तानी तत्वों को हर तरह की सहायता और सलाह देकर उनके साथ घनिष्ठ समन्वय में काम करने के लिए जानी जाती है। यह एक सर्वविदित तथ्य है कि कनाडा के अधिकारियों ने कनाडा से आईएसआई की विघटनकारी और आपत्तिजनक गतिविधियों पर कभी सवाल नहीं उठाया।