उत्तराखण्ड; देहरादून : (एसडीजी) : गरीबी और भुखमरी को समाप्त करने समेत सतत विकास लक्ष्य (एसडीजी) को पाने की दौड़ में उत्तराखंड ने अपने प्रदर्शन को सुधारने का उत्साह बनाए रखा है। एसडीजी में प्रदेश की रेटिंग फ्रंट रनर में सम्मिलित है। प्रदेश के भीतर तेरह में से दस जिलों का प्रदर्शन संतोषजनक है।
प्राप्त जानकारी के अनुसार: इन सभी में नैनीताल जिला पच्चहत्तर अंक के साथ सर्वोच्च स्थान, जबकि ऊधमसिंह नगर जिला चौवन अंक के साथ सबसे नीचे है। एसडीजी के अंतर्गत उन्नीस लक्ष्य निर्धारित हैं। इनमें शून्य गरीबी, शून्य भुखमरी, अच्छा स्वास्थ्य व रहन-सहन, गुणवत्तापरक शिक्षा, लैंगिंक समानता, स्वच्छ जल व स्वच्छता पहले छह लक्ष्य हैं।
इनके बाद वहन करने योग्य व स्वच्छ ऊर्जा, अच्छी कार्य संस्कृति व आर्थिक उन्नति, औद्योगिक नवाचार व अवस्थापना, असमानता में कमी, सतत शहर और समुदाय, उत्तरदायी उपभोग एवं उत्पादन, जलवायु गतिविधि, जीवन, शांति, न्याय व सशक्त संस्थाएं और लक्ष्य पूर्ति में सहभागिता के बिंदुओं पर एसडीजी का मूल्यांकन किया जाता है।
प्राप्त जानकारी के अनुसार: की ओर से गठित सेंटर फार पब्लिक पालिसी एंड गुड गवर्नेंस (सीपीपीजीजी) की ओर से वर्ष 2021-2022 के लिए जारी की गई एसडीजी रेटिंग में उत्तराखंड को कुल औसत अंक उन्नहत्तर प्राप्त हुए हैं। एसडीजी रेटिंग में पैंसठ से नीनयानवे तक अंक प्राप्त करने वालों को लक्ष्य प्राप्त करने वालों में फ्रंट रनर माना जाता है।
इससे कम को परफार्मर यानी यथास्थिति वाली श्रेणी में रखा गया है। नीनयानवे से अधिक यानी सौ अंक पाने वाले को अचीवर श्रेणी दी गई है। इस श्रेणी में उत्तराखंड का एक भी जिला नहीं है।
इससे पहले यानी वर्ष 2020-21 में परफार्मर श्रेणी में उत्तराखंड के चार जिलों में उत्तरकाशी के 64, पिथौरागढ़ के 63, टिहरी के 59 व ऊधमसिंहनगर के 58 अंक थे। एक साल बाद इन चारों में सबसे अच्छा प्रदर्शन उत्तरकाशी ने किया है।
उत्तरकाशी के वर्ष 2021-22 में 70 अंक हैं। पिथौरागढ़ ने रेटिंग में दो अंकों का सुधार कर 67 अंक प्राप्त किए हैं। टिहरी, हरिद्वार व ऊधमसिंहनगर की रेटिंग सुधरी तो है, लेकिन यह फ्रंट रनर में सम्मिलित होने से पीछे रह गई।
जिला – रेटिंग; नैनीताल- 75, देहरादून-73, चम्पावत- 72, रुद्रप्रयाग- 71