अर्न्तराष्ट्रीय; चीन ने गुरुवार से ताइवान की सीमा के पास मिसाइल दागने शुरू कर दिए हैं। इस सैन्य अभ्यास से चीन दुनिया के सामने अपनी ताकत का बखान कर रहा है।अमेरिकी प्रतिनिधि सभा की अध्यक्ष नैंसी पेलोसी ताइपे की सफल यात्रा कर लौट चुकी हैं। उन्हें रोकने में चीन नाकामयाब रहा और अब जाहिर सी बात है कि चीन को यह रास नहीं आ रहा।
इस बीच चीन की इन्हीं हरकतों पर लगाम कसने और चीन को कड़ी चेतावनी देते हुए अमेरिका का सातवां बेड़ा भी पूरी तरह से तैयार हो गया है। अमेरिकी रक्षा मंत्रालय ने परमाणु हथियारों से लैस एयरक्राफ्ट कैरियर यूएस रोनाल्ड रीगन के नेतृत्व में सातवें बेड़े को फिलिपींस समुद्र में डटे रहने का आदेश दिया है।
अमेरिका के विदेश मंत्री एंटनी ब्लिकंन ने भी शुक्रवार को कंबोडिया में दक्षिण पूर्व एशियाई राष्ट्र संघ के साथ एक बैठक में चीन की इस आक्रामक सैन्य कार्रवाई का जिक्र उकसावे के रूप में किया। उन्होंने चीन को चेतावनी दी है कि वह नैंसी के दौरे का इस्तेमाल संकट बढ़ाने के बहाने के रूप में न करें।
इन्हीं घटनाक्रमों के साथ अमेरिकी नौसेना का सातवां बेड़ा एक बार फिर से सुर्खियों में आ गया है। यह एक ऐसा नाम है जिसे सुनते ही दुश्मन के पैरों तले जमीन खिसक जाती है। आखिर क्या है अमेरिका का सातवां बेड़ा जिसके अभी इतने चर्चे हैं। अमेरिकी नौसेना के सातवें बेड़े की स्थापना 15 मार्च, 1943 में द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान ऑस्ट्रेलिया के ब्रिसबेन में हुआ था। इसका मुख्यालय जापान में है।
मिली जानकारी के अनुसार: यह अमेरिकी नौसेना का सबसे बड़ा और अग्रिम तैनाती वाला बेड़ा है। इसमें 50 से 70 जहाज और पनडुब्बियां, 150 हवाई जहाज शामिल हैं। इसमें हमेशा मुस्तैद रहने वाले नौसैनिकों की संख्या लगभग 20,000 है। सातवें बेड़े की कमान 8 जुलाई, 2021 से वाइस एडमिरल कार्ल थाॅमस संभाल रहे हैं। वह इसके 53वें कमांडर हैं।
अमेरिका के सातवें बेड़े की जिम्मेदारी के क्षेत्र में पश्चिमी प्रशांत और हिंद महासागर शामिल है। यह 75 वर्षों से अधिक भारतीय हिंद महासागर में अपनी उपस्थिति बनाए हुए है। इसका कार्यक्षेत्र 124 मिलियन वर्ग किलोमीटर से अधिक है। इसके संचालन क्षेत्र में 36 देश शामिल हैं जिसमें दुनियी की आधी आबादी समा जाती है।
अमेरिकी नौसेना की यह सबसे बड़ी और शक्तिशाली टीम है जो समुद्री हितों की रक्षा करती है। यह अपनी सीमा क्षेत्र के अंदर आने वाले प्रतिपक्षों की समुद्री गतिविधियों पर नजर रखता है। सातवें बेड़े की कार्रवाई अंतराष्ट्रीय कानून के अनुरूप है। इसके अनुसार अमेरिकी नौसेना को किसी भी देश के आर्थिक क्षेत्र में प्रवेश करने से पहले कोई इजाजत नहीं लेनी होगी।
सातवें बेड़े का नाम 1971 के भारत-पाकिस्तान युद्ध के दौरान आया था। जब भारत को डराने के लिए अमेरिका ने सातवें बेड़े का इस्तेमाल किया था। इस युद्ध में भारत को पूर्व सोवियत संघ का साथ मिला था। इसे 1990 में गल्फ वार में भी शामिल किया गया था।