बिहार; में नीतीश कुमार 8वीं बार मुख्यमंत्री पद की शपथ ले चुके हैं। एन.डी.ए. से अलग होकर जनता दल यूनाइटेड ने राष्ट्रीय जनता दल समेत कुछ पार्टियों के साथ मिलकर गठबंधन तैयार कर लिया है। जे.डी.यू. से आरसीपी सिंह की विदाई के बाद भले ही सियासी हलचल तेज हो गई थीं, लेकिन खबर है कि इसकी पटकथा महीनों पहले ही लिखी जा चुकी थी, जिसके तार कांग्रेस की अंतरिम अध्यक्ष सोनिया गांधी से जुड़ रहे हैं।
समाचार एजेंसी एएनआई ने सूत्रों के हवाले से बताया कि सोनिया गांधी और नीतीश कुमार के बीच हुई बातचीत में यह स्क्रिप्ट तैयार हो गई थी। कुमार ने तब कोविड-19 संक्रमण से जूझ रही सोनिया का हाल जाना था, बातचीत के दौरान कुमार ने भारतीय जनता पार्टी की तरफ से पड़ रहे दबाव का भी जिक्र किया और कहा कि भाजपा उनकी पार्टी तोड़ना चाहती है।
प्राप्त जानकारी के अनुसार, बातचीत के दौरान बिहार के मुख्यमंत्री ने प्रदेश में बदलाव के लिए सोनिया से सहयोग मांगा था। तब कांग्रेस प्रमुख ने उन्हें राहुल गांधी से भी बात करने के लिए कहा था। इसके बाद नीतीश कुमार ने तेजस्वी यादव का रुख किया और राहुल से संपर्क साधने के लिए कहा। वहीं, राजद नेता भी तत्काल वायनाड सांसद से बात की थी। खास बात है कि इस संपर्क के बाद राहुल ने भी पार्टी के प्रदेश प्रभारी भक्त चरण दास के साथ संपर्क में रहने पर सहमति जताई थी। इन चर्चाओं के बाद बिहारी की राजनीतिक किस्मत लिखी गई थी।
प्राप्त जानकारी के अनुसार, नीतीश बहुमत के आंकड़े को हासिल करना चाहते थे, ताकि भाजपा उनकी सरकार न गिरा सके। इसके लिए उन्होंने शांत रहकर संख्याबल 164 पहुंचने का इंतजार किया और आंकड़ा यहां तक पहुंचाने में वाम और कांग्रेस का भी योगदान रहा।
जदयू नेताओं ने इस बात के भी संकेत दिए हैं कि आरसीपी सिंह के पार्टी छोड़ने के चलते भी भाजपा के साथ संबंध खराब हुए हैं। इसके अलावा नीतीश की पार्टी के नेता लोक जनशक्ति पार्टी (राम विलास) के नेता चिराग पासवान की भूमिका को लेकर भी चर्चाएं करते रहे हैं। साथ ही उन्होंने संकेत दिए हैं कि जदयू जिन सीटों पर लड़ रही थी, वहां उनके उम्मीदवार उतारे जाने से पार्टी को नुकसान पहुंचा था।