December 23, 2024

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उत्‍तराखंड विधानसभा में भर्ती प्रकरण- केंद्रीय नेतृत्व की पैनी नजर

देहरादून;  उत्तराखंड की चौथी विधानसभा के कार्यकाल में विधानसभा में हुई भर्तियों में गड़बड़ी के प्रकरण का भाजपा के केंद्रीय नेतृत्व ने भी संज्ञान लिया है। पार्टी के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष एवं उत्तराखंड प्रभारी दुष्यंत कुमार गौतम के अनुसार इस बारे में पूरी जानकारी ली जा रही है।

मिली खबर के अनुसार,  तत्कालीन विधानसभा अध्यक्ष और धामी सरकार में कैबिनेट मंत्री प्रेमचंद अग्रवाल दो सितंबर को दिल्ली में होने वाली मुख्यमंत्री परिषद की बैठक के बाद पार्टी के केंद्रीय नेताओं को वस्तुस्थिति से अवगत करा सकते हैं। यद्यपि, सूत्रों का दावा है कि भर्ती मामले में पार्टी हाईकमान ने अग्रवाल को दिल्ली आकर वस्तुस्थिति से अवगत कराने को कहा है।

उत्तराखंड अधीनस्थ सेवा चयन आयोग की परीक्षाओं में घोटाले की बात सामने आने के बाद सरकार ने तुरंत एसआइटी को इसकी जांच सौंप दी। इस मामले में अब तक 30 गिरफ्तारियां हो चुकी हैं। इसके अलावा कुछ परीक्षाओं में गड़बड़ी के प्रकरणजांच के लिए विजिलेंस को सौंपे गए हैं। भ्रष्टाचार को लेकर जीरो टालरेंस की नीति पर चल रही भाजपा सरकार की इस पहल से अच्छा संदेश भी गया।

इस बीच पिछली विधानसभा के कार्यकाल में विधानसभा में 72 नियुक्तियों का मामला उछला। विपक्ष ने इस मामले में भाजपा सरकार को घेरने में देर नहीं लगाई। आरोप है कि इसमें नियमों का पालन नहीं किया गया और चहेतों को पिछले दरवाजे से नियुक्तियां दी गईं।

भाजपा के लिए यह मामला इसलिए असहज करने वाला है, क्योंकि तब भी उसकी सरकार थी। यद्यपि, तत्कालीन विधानसभा अध्यक्ष अग्रवाल ने स्पष्ट किया था कि ये नियुक्तियां तदर्थ हैं और नियमानुसार हुई हैं। आवश्यकता पड़ने पर विधानसभा अध्यक्ष को नियुक्तियां करने का अधिकार है।

मामले के तूल पकड़ने पर मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने विधानसभा में हुई नियुक्तियों के प्रकरण की जांच कराने के संबंध में विधानसभा अध्यक्ष से अनुरोध करने की बात कही। साथ ही कहा कि विधानसभा को इसके लिए सरकार से जिस प्रकार के सहयोग की आवश्यकता होगी, वह उसे दिया जाएगा।

इसके बाद भी भर्ती प्रकरण को लेकर आरोप-प्रत्यारोप का क्रम थमा नहीं है। यही कारण है कि अब भाजपा के केंद्रीय नेतृत्व ने इसका संज्ञान लिया है। चर्चा है कि मंगलवार की रात केंद्रीय नेतृत्व ने प्रदेश नेतृत्व से इस विषय में फोन पर विस्तार से ब्योरा लिया। माना जा रहा है कि प्रकरण के सभी पहलुओं की जानकारी लेने के बाद ही पार्टी नेतृत्व कोई कदम उठा सकता है।

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