ताइपे; चीन और ताइवान में लगातार तनाव बढ़ता ही जा रहा है। एक तरफ जहां चीन लगातार सैन्य अभ्यासों के जरिए ताइवान पर दबाव डालने की कोशिश कर रहा है वहीं दूसरी तरफ ताइवान भी बुरे दौरे के लिए अपने सुरक्षा व्यवस्था को मजबूत कर रहा है। इसको देखते हुए ही ताइवान ने अपने बजट में 29 हिमार्स राकेट राकेट और चौरासी लम्बी दूरी की मिसाइल सिस्टम खरीदने का प्रपोजल दिया है। जिन ट्रक राउण्ट राकेट सिस्टम इस बार बजट प्रपोजल में रखा गया है पहले इसको केवल अठारह ही खरीदने की योजना बनाई गई थी, लेकिन अब चीन के खतरे को देखते हुए इसमें इजाफा किया गया है।
मिली खबर के अनुसार, ताइवान ने केवल इन्हीं दो हथियारों की खरीद के लिए सेना को धन आवंटित नहीं किया है, बल्कि इसमें पहले से अधिक एम 142 हाई मोबिलिटी आर्टिलरी राकेट सिस्टम लान्चर को अमेरिका से खरीदने का भी प्रपोजल बजट में दिया है। पहले ताइवान एम 109 पैलाडियन को खरीदने पर विचार कर रहा था। आपको बता दें कि अमेरिका ने यूक्रेन को भी हिमार्स की सप्लाई की है। रूस से मुकाबले में इनका अच्छा रिजल्ट सामने आ रहा है। बजट में दिए इन प्रपोजल्स पर अब सदन में बहस होगी और फिर इनको पास किया जा सकेगा।
इस बजट प्रपोजल में ताइवान ने चीन के खतरे को देखते हुए लान्ग रेंज गाइडेड मिसाइल सिस्टम और 300 किमी की दूरी तक मार करने वाले हिमार्स राकेट सिस्टम की भी संख्या में इजाफा किया है। हिमार्स का इस्तेमाल पिछले वर्ष मोरक्को में सैन्य अभ्यास के दौरान भी किया गया था। ताइवान का इस बार का पूरा बजट करीब 32.5 अरब डालर का है। यदि ताइवान समय पर बजट प्रपोजल को मंजूरी दे देता है और इसके आर्डर कर दिए जाते हैं तो हिमार्स के पहले बैच के 11 राकेट सिस्टम ताइवान को वर्ष 2024 तक हासिल भी हो जाएंगे। सेना की तरफ से इस बजट प्रपोजल में दिए गए हथियारों की खरीद पर कहा गया है कि यदि ये उन्हें हासिल हो जाते हैं तो दुश्मन को अपनी धरती से दूर रखना काफी आसान हो जाएगा। इतना ही नहीं वो जल्दी मदद भी हासिल नहीं कर सकेगा।
हिमार्स को लेकर मन बना रही सेना ने अब 40 पैलाडियन्स की खरीद करने से इनकार कर दिया है। इसको लेकर ताइवान के राष्ट्रीय सुरक्षा सुरक्षा ने मई में फैसला लिया था। ऐसा इसलिए किया गया क्योंकि अमेरिका ने इसको समय पर डिलीवर न करने की बात कही थी। अमेरिका का कहना है कि वो इतनी संख्या में इनका उत्पादन कर पाने में समर्थ नहीं है। अमेरिका ने ही इनकी जगह हिमार्स की खरीद का प्रपोजल ताइवान को दिया था।
संपादन: अनिल मनोचा