उत्तराखंड; पूर्व विधानसभा अध्यक्ष कुंजवाल ने दावा किया कि महाराष्ट्र के राज्यपाल और उत्तराखंड के पूर्व सीएम भगत सिंह कोश्यारी की भतीजी को भी विधानसभा में नियुक्ति दी गई थी। ऐसे में केवल उन्हीं पर सवाल क्यों उठाए जा रहे हैं। राज्य के पूर्व विधानसभा अध्यक्ष व कांग्रेस नेता गोविंद सिंह कुंजवाल ने कहा कि अपने बच्चों को विधानसभा में नौकरी देना नैतिक रूप से गलत था। उन्होंने माना कि उन्हें ऐसा नहीं करना चाहिए था। उन्होंने कहा कि वो इसके लिए प्रदेश की जनता से माफी मांगने को भी तैयार हैं। साथ ही कहा, हालांकि जनता उन्हें पहले ही इसकी सजा दे चुकी है।
मिली जानकारी के अनुसार, पूर्व विधानसभा अध्यक्ष कुंजवाल ने कहा कि नौकरी देने का काम सिर्फ उन्होंने नहीं किया। उन्होंने दावा किया कि महाराष्ट्र के राज्यपाल और उत्तराखंड के पूर्व सीएम भगत सिंह कोश्यारी की भतीजी को भी विधानसभा में नियुक्ति दी गई थी। ऐसे में केवल उन्हीं पर सवाल क्यों उठाए जा रहे हैं। बकौल कुंजवाल-मेरे कार्यकाल में विधानसभा में हुई 150 से अधिक लोगों की बैकडोर नियुक्तियों पर अब सवाल उठाना ठीक नहीं है, उन नियुक्तियों को सुप्रीम कोर्ट से क्लीन चिट मिल चुकी है। ऐेसे में उन भर्तियों पर सवाल खड़े करना, सुप्रीम कोर्ट की अवहेलना भी है। उन्होंने कहा कि यह सही है कि नैतिक रूप से मुझे अपने बच्चों को विधानसभा में नहीं लगाना चाहिए था। लेकिन मैं भी राज्य का आम नागरिक हूं और मेरे बेटे जिस पद पर हैं उससे अधिक योग्यता रखते हैं। ऐसे में अब इन भर्तियों पर सवाल नहीं उठाया जाना चाहिए।
पूर्व विधानसभा अध्यक्ष कुंजवाल अपने समय में हुई नियुक्तियों को हाई कोर्ट की क्लीन चिट का दावा कर रहे हैं। हालांकि हाईकोर्ट के अधिवक्ता चंद्रशेखर करगेती ने बताया कि कोर्ट ने कुंजवाल के समय हुई इन नियुक्तयों को सही गलत ठहराने पर सुनवाई ही नहीं की। बल्कि वाद का विषय पदों के सापेक्ष योग्यता को लेकर था। उन्होंने बताया कि सरकार ने कोर्ट में दावा किया गया था कि गैरसैंण में विधानसभा के लिए उक्त नियुक्तियां की गई हैं। इस पर कोर्ट ने दो टूक कहा था कि अस्थायी तौर पर नियुक्त कर्मचारियों के लिए भी न्यूनतम अर्हता का पालन किया जाना जरूरी है। इधर पूर्व विधानसभा अध्यक्ष कुंजवाल ने कहा कि सभी पदों के लिए न्यूनतम अर्हता के नियमों का पालन किया गया था।