कानपुर; बुधवार की सुबह बर्रा इलाके में केडीए अफसरों ने अवैध रूप से बने एक गेस्ट हाउस का बुलडोजर से ध्वस्तीकरण कराया। यह गेस्ट हाउस प्रसपा नेता विनोद प्रजापति का है, ध्वस्तीकरण की कार्रवाई के दौरान भारी पुलिस फोर्स तैनात रहा। बाबा का बुलडोजर शहर में भी अब गरजने लगा है।
मिली जानकारी के अनुसार, बर्रा के जूही कलां में हाईवे किनारे करीब दो हजार वर्ग गज की जमीन पर बीस सालों से कब्जा कर प्रसपा नेता गेस्ट हाउस चला रहा था। मामले में कई बार नोटिस भेजने के बाद भी जमीन खाली न करने पर ध्वस्तीकरण का आदेश जारी हो गया और बुधवार सुबह केडीए अधिकारी, पीएसी और तीन थानों के फोर्स पहुंच गया। चार बुलडोजर से पूरे गेस्ट हाउस को ध्वस्त कर दिया गया।
केडीए के विशेष कार्याधिकारी सत शुक्ला ने बताया कि जूही कलां डब्ल्यू ब्लाक के प्लाट नंबर 744 और 744ए करीब दो हजार वर्ग गज की जमीन केडीए की है, जिसपर प्रसपा के जिलाध्यक्ष विनोद प्रजापति फर्जी दस्तावेज बना कब्जा कर दिव्यांशी गार्डन के नाम से गेस्ट हाउस चला रहा था।
मामले में उसके खिलाफ केडीए में दो साल से फाइल चल रही थी। इस दौरान गेस्ट हाउस सील भी किया गया था, लेकिन विनोद प्रजापति सील तोड़कर फिर गेस्ट हाउस संचालन करने लगे थे। उनके खिलाफ मुकदमा भी दर्ज कराया गया था। जमीन पर कब्जा करना, सील तोड़ने, नियमो का उल्लंघन करने पर कई बार नोटिस भेजी गई।
इसके बाद करीब ढाई माह पहले गेस्ट ओस ध्वस्त करने का आदेश प्राप्त हुआ। बुधवार को केडीए की टीम एसीपी गोविंद नगर विकास पांडेय, बर्रा, गुजैनी, हनुमंत विहार थाने का फोर्स, पीएसी के साथ मौके पर पहुंची और ध्वस्तीकरण की कार्रवाई की।
विनोद प्रजापति पहले समाजवादी पार्टी का कानपुर ग्रामीण का जिलाध्यक्ष था। इसके बाद वह प्रसपा में शामिल होकर राजनीति में भी सक्रिय है। ध्वस्तीकरण कार्रवाई को लेकर विनोद प्रजापति ने हाईकोर्ट के आदेश की अवहेलना बताया है। स्पष्टीकरण जारी करके विनोद प्रजापति ने कहा है कि माननीय उच्च न्यायालय इलाहाबाद आदेश संख्या 54459/2009 दिनांक 15 अगस्त 2009 को जारी यथास्थिति का आदेश होने के बावजूद कनपुर विकास प्राधिकरण द्वारा ध्वस्तीकरण गैरकानूनी है।
माननीय मुख्यमंत्री जी केडीए अफसरों पर विभागीय कार्रवाई करने की संस्तुति प्रदान करने की कृपा करें। माननीय उच्च न्यायालय का आदेश केडीए के विभागीय अधिकारी द्वारा फाड़ कर फेंक दिया गया है और कहा गया कि मुख्यमंत्री का आदेश है।
संपादन: अनिल मनोचा