देहरादून : पूर्व शिक्षा मंत्री अरविंद पांडेय ने स्वजन को नौकरी लगाने के आरोपों से इन्कार किया। उन्होंने कहा कि वह इस मामले में किसी भी जांच के लिए तैयार हैं। जांच में दोषी पाए जाने पर जनता जो भी सजा देगी, उसे भुगतने से पीछे नहीं हटेंगे।
मिली जानकारी के अनुसार, इंटरनेट मीडिया पर वायरल हुई एक सूची को लेकर आरोप लगाए गए कि पूर्व शिक्षा मंत्री अरविंद पांडेय ने अपने मंत्री पद के कार्यकाल के दौरान अपने आठ रिश्तेदारों को विभाग में नौकरी में लगाया था। गुरुवार को भाजपा के प्रदेश मुख्यालय पहुंचे पूर्व शिक्षा मंत्री व गदरपुर से भाजपा विधायक अरविंद पांडेय ने मीडिया से बातचीत में आरोपों से इन्कार कि उन्होंने कहा कि वह अपने स्वजन को नौकरी पर लगाने की कोशिश करते तो बीस से तीस व्यक्ति शिक्षक बन जाते। उनके परिवार में इतने व्यक्तियों ने बीएड किया है। पूर्व शिक्षा मंत्री ने कहा कि उनके कार्यकाल में पन्द्रह हजार पदों पर भर्ती हुई है।
इन भर्तियों में पूरी तरह पारदर्शिता और नियमों का पालन हुआ। सहायताप्राप्त अशासकीय विद्यालयों में मेरिट सूची में शामिल टाप सात अभ्यर्थियों को साक्षात्कार के लिए बुलाया जाता है। उन्होंने अपने कार्यकाल में भर्तियों में होने वाली अनियमितता पर अंकुश लगाया।
अरविंद पांडेय ने कहा कि कुछ व्यक्ति उन्हें उत्तर प्रदेश और बिहार का बताकर राजनीति करते हैं। वह ऊधमसिंहनगर जिले के रहने वाले हैं। उत्तराखंड आंदोलन में उन्होंने बढ़चढ़कर भाग लिया।
इस कारण ऊधमसिंहनगर की स्थानीय जनता उन्हें पीटा भी करती थी और उत्तर प्रदेश में रहने को कहती थी। वह अलग उत्तराखंड राज्य की मांग को लेकर मुखर रहे और जेल भी गए। उन्होंने कहा कि जब भी इस तरह छवि खराब करने की कोशिश की जाती है तो उन्हें अच्छा नहीं लगता।