उत्तराखण्ड; प्रदेश के इंटरमीडिएट कॉलेजों में प्रधानाचार्य के पचास प्रतिशत पदों को वरिष्ठता के आधार पर पदोन्नति एवं शेष इतने ही पदों को विभाग सीधी भर्ती से भरेगा। धामी कैबिनेट ने इसके प्रस्ताव को मंजूरी दे दी। प्रदेश के इंटरमीडिएट कालेजों में प्रधानाचार्य के इक्का-दुक्का नहीं, बल्कि 932 पद पिछले कई वर्षों से खाली हैं। पूर्व में प्रधानाचार्य के कुछ पदों को भरा जा सके इसके लिए सरकार की ओर से पदोन्नति में छूट दी गई थी।
मिली जानकारी के अनुसार, प्रधानाध्यापक से प्रधानाचार्य के पद पर पदोन्नति के लिए कम से कम पांच साल की इस पद पर मौलिक सेवा को ढ़ाई वर्ष किया गया था। इसके बाद भी प्रधानाचार्य के अधिकतर पद खाली हैं। कैबिनेट की बैठक में अब निर्णय लिया गया है कि माध्यमिक शिक्षा विभाग के तहत सृजित 932 पद के लिए योग्य उम्मीदवारों का चयन न होने पर प्रधानाचार्य पद के लिए पचास प्रतिशत पदोन्नति वरिष्ठता के आधार पर होगी। जबकि शेष पचास प्रतिशत पदों पर प्रधानाध्यापकों एवं प्रवक्ता में से समिति विभागीय परीक्षा कर चयन करेगी।
राजकीय शिक्षक संघ ने प्रधानाचार्य के पचास प्रतिशत पदों को विभागीय सीधी भर्ती से भरे जाने का यह कहते हुए विरोध किया है कि इसमें एलटी शिक्षकों की अनदेखी हुई है। शिक्षक संघ के प्रांतीय महामंत्री डॉ. सोहन माजिला ने कहा कि प्रधानाध्यापक के पद पर 55 प्रतिशत सहायक अध्यापक एलटी व 45 प्रतिशत प्रवक्ता संवर्ग से पदोन्नति से भरे जाने की व्यवस्था है। जबकि प्रधानाचार्य पद पर विभागीय सीधी भर्ती के लिए एलटी शिक्षकों की अनदेखी हुई है। प्रवक्ता पद पर कम से कम 10 साल की सेवा की बाध्यता की वजह से कई प्रवक्ता भी विभागीय सीधी भर्ती से वंचित होंगे
संपादन: अनिल मनोचा