लखनऊ: उत्तर प्रदेश में स्टेट मेडिकल फैकल्टी (एसएमएफ) ने फैसला किया है कि पैरा-मेडिकल संस्थानों से जुड़ी सभी स्वास्थ्य सुविधाओं को जियो-टैग किया जाएगा।
राज्य में पैरा-मेडिकल संस्थानों के संचालन की निगरानी करने वाली एक वैधानिक संस्था एसएमएफ के सचिव प्रोफेसर आलोक कुमार ने कहा कि, शहर में रिमोट सेंसिंग एप्लीकेशन सेंटर (आरएसएसी) से इसके लिए संपर्क किया जाएगा।
पैरा-मेडिकल संस्थानों के अस्पताल अक्सर एक ही परिसर में नहीं होते हैं।
प्रो कुमार ने कहा, ऐसे मामलों में, संभावना है कि निरीक्षक, जो स्थानीय नहीं हैं, उन्हें बेहतर स्कोरकार्ड प्राप्त करने के लिए कुछ अन्य, अच्छे अस्पताल दिखाए जाते हैं। हम जियो-टैगिंग के माध्यम से ऐसे प्रयासों को विफल करने की योजना बना रहे हैं।
लगभग 1,200 संस्थान हैं, जिनमें से एक हिस्सा अर्ध-शहरी क्षेत्रों में स्थित है, जो उत्तर प्रदेश में पैरामेडिकल पाठ्यक्रम प्रदान करते हैं।
यह बताते हुए कि इस कदम से कैसे मदद मिलेगी, प्रो कुमार ने कहा, आकस्मिक निरीक्षण के दौरान, एक इंस्पेक्टर को उस परिसर की भौगोलिक स्थिति के बारे में बताया जाएगा, जिसकी उसे जांच करनी है। वे संस्थान और संस्थान द्वारा पंजीकृत अस्पताल पहुंच कर जांच करेंगे।
उन्होंने आगे कहा, इस तरह वास्तविक अस्पताल का निरीक्षण किया जाएगा और निरीक्षक के गुमराह होने की संभावना पूरी तरह समाप्त हो जाएगी।
इस कदम का उद्देश्य धोखाधड़ी को समाप्त कर छात्रों के नैदानिक प्रशिक्षण में सुधार करना भी है।
प्रो आलोक ने कहा, यदि अस्पतालों में निर्धारित मानकों को बनाए रखा जाता है, तो व्यावहारिक प्रशिक्षण बेहतर होगा और इसलिए हम सरकारी और निजी दोनों अस्पतालों के लिए अच्छे पैरा-मेडिकल स्टाफ का उत्पादन कर सकते हैं।
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