नई दिल्ली; हिजाब पर इतनी राजनीति क्यों हो रही है? दुनिया में हिजाब को लेकर क्या प्रावधान है? अन्य मुस्लिम देशों में हिजाब को लेकर क्या रवैया है? दुनिया के किन मुल्कों ने हिजाब पहनने पर प्रतिबंध लगा रखा है? हिजाब को लेकर ईरानी सरकार के खिलाफ व्यापक प्रदर्शन चल रहा है। दरअसल हिजाब बांधने वाले सख्त कानून के उल्लंघन के आरोप में एक 22 वर्षीय युवती को ईरान की पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया था, जिसकी मौत हो गई। इसके बाद से ही देश में हंगामा शुरू हो गया। ईरान में जगह-जगह प्रदर्शन हो रहे हैं।
मिली जानकारी के अनुसार, पश्चिमी देशों में फ्रांस पहला देश है, जिसने अपने देश में हिजाब पहनने पर प्रतिबंध लगाया। फ्रांस के तत्कालीन राष्ट्रपति निकोला सारकोजी ने इस नियम को लागू किया। इसके चलते फ्रांस और उसके बाहर उन्हें जबरदस्त विरोध का सामना करना पड़ा था। फ्रांस इस्लामी नकाबों पर प्रतिबंध लगाने वाला पहला यूरोपीय देश बना था। इसके तहत कोई भी महिला घर के बाहर पूरा चेहरा ढककर नहीं जा सकती। नियम के उल्लंघन पर जुर्माने का भी प्रावधान है। फ्रांस सरकार का मानना है कि पर्दा महिलाओं के साथ किसी अत्याचार से कम नहीं है। इस नियम का उल्लंघन करने पर 150 यूरो का जुर्माना तय किया गया है। अगर कोई किसी महिला को चेहरा ढकने पर मजबूर करता है तो उस पर 30 हजार यूरो के जुर्माने का प्रावधान है।
बेल्जियम भी एक ऐसा मुल्क है, जिसने अपने मुल्क में नकाब पहनने पर रोक लगा रखी है। बेल्जियम ने पूरा चेहरा ढकने पर जुलाई 2011 में ही प्रतिबंध लगा दिया था। नए कानून के तहत सार्वजनिक स्थलों पर ऐसे किसी भी पहनावे पर रोक थी जो पहनने वाले की पहचान जाहिर न होने दे। हालांकि, बेल्जियम में भी इस कानून के खिलाफ याचिका दायर की गई थी, लेकिन अदालत ने यह कहते हुए इसे खारिज कर दिया था कि इससे मानवाधिकार का अतिक्रमण नहीं हो रहा है।
नीदरलैंड्स में स्कूल एवं अस्पतालों में इस्लामिक नकाब पहनने पर रोक है। इसके अलावा सार्वजनिक परिवहन में सफर के दौरान पूरा चेहरा ढकने वाले इस्लामिक नकाबों पर रोक का समर्थन किया। जून, 2018 में नीदरलैंड्स की संसद ने चेहरा ढकने को एक बिल पास किया इसके बाद यह एक कानून में तब्दील हो गया।
इटली के कुछ शहरों में बुर्का पहनने पर प्रतिबंध है। खासकर नोवार और लोंबार्डी शहर में यह नियम लागू है। हालांकि, पूरे इटली में यह नियम लागू नहीं है। जर्मनी की चांसलर एंगेला मर्केल भी नकाब प्रतिबंधों को लागू करवाने के पक्ष में हैं। उनकी मान्यता है कि नकाबों पर प्रतिबंध लगाया जाना चाहिए। हालांकि, जर्मनी में अभी ऐसा कोई कानून नहीं है। जर्मनी में जजों, सैनिकों और सरकारी कर्मचारियों के लिए आंशिक प्रतिबंध को मंजूरी दी है।
आस्ट्रिया, नार्वे और स्पेन में भी आंशिक रूप से चेहरा ढकने पर प्रतिबंध लगाया गया है। अक्टूबर, 2017 में आस्ट्रिया में स्कूलों और अदालतों जैसे सार्वजनिक स्थानों पर चेहरा ढकने पर प्रतिबंध लगा दिया गया था। नार्वे में वर्ष 2018 में पारित एक कानून के तहत शिक्षण संस्थानों में चेहरा ढकने वाले कपड़े पहनने पर रोक है। स्पेन में साल 2010 में इसके बार्सिलोना शहर में नगर निगम कार्यालय, बाजार और पुस्तकालय जैसे कुछ सार्वजनिक जगहों पर पूरा चेहरा ढकने वाले इस्लामिक नकाबों पर प्रतिबंध की घोषणा की गई थी।
ईरान में हिजाब सिर पर नहीं बांधने को लेकर एक 22 वर्षीय कुर्दिश युवती को पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया था जिसके बाद उसकी हिरासत में मौत हो गई। इस घटना को लेकर ईरान सरकार के खिलाफ देश के 80 शहरों में प्रदर्शन शुरू हो गया है। कुर्द निवासी महसा अमिनी की मौत को लेकर सैंकड़ों प्रदर्शनकारी सड़क पर उतर आए हैं। सभी सरकार विरोधी नारे लगा रहे हैं। सुरक्षा बलों के साथ हिंसक झड़प में मरने वालों का आंकड़ा 26 हो गया। पिछले दिनों युवती की मौत को लेकर प्रदर्शन कर रहीं कुछ महिलाओं ने अपने हेडस्कार्फ उतारकर सड़क पर आग लगा दी। वहीं पुरुषों ने सुप्रीम नेता के पोस्टर जलाए। ईरानी कानून के तहत सभी महिलाओं का सिर हिजाब से ढका होना चाहिए और सार्वजनिक जगहों पर ढीले वस्त्र पहनना जरूरी है। यह कानून 1979 से लागू है और इसका पालन देश की हर महिला को करना है।
संपादन: अनिल मनोचा