ऋषिकेश; वनन्तरा रिसॉर्ट में रिसेप्शनिस्ट अंकिता भंडारी की हत्या ने जंगल में रिसॉर्ट निर्माण को लेकर सिस्टम को सवालों के घेरे में ला दिया है। वन क्षेत्र और उससे सटे इलाकों में स्थित ये रिसॉर्ट महज कुछ महीनों में तो बने नहीं होंगे। जब ये बनने शुरू हुए, तभी अगर जिम्मेदार अपनी ड्यूटी ईमानदारी से निभा लेते तो आज इन रिसॉर्ट की जांच की नौबत ही नहीं आती।
मिली जानकारी के अनुसार, अय्याशी का अड्डा बने इन रिसॉर्ट में अंकिता जैसी कितनी युवतियां उत्पीड़न का शिकार हुई होंगी, यह तो जांच के बाद ही पता चलेगा। लेकिन, राजाजी पार्क प्रशासन, जिला विकास प्राधिकरण, तहसील व जिला प्रशासन, राजस्व और नागरिक पुलिस जैसे तमाम विभाग अनैतिकता का केंद्र बने इन रिसॉर्ट के अवैध निर्माण को समय रहते रोक सकते थे। अफसोस कि अब अंकिता हत्याकांड के बाद इन विभागों को अपनी जिम्मेदारी याद आई है।
पर्यटकों की अच्छी-खासी आवाजाही के चलते राजाजी टाइगर रिजर्व से सटे राजस्व गांवों में कई रिसॉर्ट और कैंपिंग साइट बन गए हैं। नियमानुसार ऐसे क्षेत्र में बने रिसॉर्ट और कैंपिंग साइट के लिए वन विभाग की अनुमति जरूरी है, लेकिन यहां अनुमति छोड़िए, कई रिसॉर्ट तो सिस्टम की मिलीभगत से वन क्षेत्र में ही अपनी गतिविधि चला रहे हैं।
सिर्फ गौहरी व चीला रेंज की बात करें तो यहां 400 से अधिक रिसॉर्ट व कैंप साइट अवैध रूप से संचालित हैं। यमकेश्वर के गंगा भोगपुर गांव स्थित वनन्तरा रिजार्ट में रिसेप्शनिस्ट अंकिता भंडारी की हत्या के बाद सरकार एक्शन में है और वन क्षेत्र से सटे रिसॉर्ट व कैंपिंग साइट की जांच शुरू हो गई है। इससे न केवल रिसॉर्ट संचालक, बल्कि वन विभाग में भी हड़कंप है।
वजह स्पष्ट है कि ज्यादातर रिसॉर्ट बिना वन विभाग की अनुमति के संचालित हैं। कई ऐसे रिसॉर्ट भी हैं, जो किसी न किसी रूप में वन भूमि पर अतिक्रमण कर बने हैं, लेकिन वन विभाग इनके विरुद्ध कार्रवाई से बचता रहा है।
मिली जानकारी के अनुसार, राजाजी के आसपास 400 से अधिक अवैध रिसॉर्ट हैं, जिनमें से ज्यादातर रसूखदार और राजनीतिक पदों पर बैठे व्यक्तियों के हैं। खास बात यह कि गंगा भोगपुर स्थित वनन्तरा रिसॉर्ट भी लंबे समय से बिना अनुमति के चल रहा था। जाहिर है कि ऐसे में स्थानीय वन अधिकारियों की भूमिका संदिग्ध है। अब अगर कार्रवाई हो रही है तो जिम्मेदार वन अधिकारियों की भूमिका भी तय होनी चाहिए।