बहुचर्चित अंकिता भंडारी हत्याकांड से पूरे देश में उबाल है। देश की बेटी, बहू, माताएं, बहनें अपनी सुरक्षा को लेकर चिंतित हैं। हालांकि सरकार महिला सुरक्षा और सशक्तिकरण के नाम पर कई तरह के दावे और वादे करती रहती है लेकिन असल स्थिति आज सबके सामने है। सरकार में बड़े पदों पर होने के बावजूद देश के नेता कितने असंवेदनशील हैं ये विनोद आर्य और पुलकित आर्य ने साबित कर दिया है।
चूंकि अंकिता हत्याकांड की जाँच सरकार द्वारा करवाई जा रही है। सारे साक्ष्य पुलकित आर्य और उसके दो साथियों को गुनाहगार साबित करने के लिए काफी हैं। अंकिता भंडारी एक गरीब पिता की बेटी थी जो अपने परिवार की आजीविका चलाने के लिए उन्नीस साल की उम्र में घर से बाहर नौकरी के लिए गई थी। अब अंकिता के चले जाने के बाद सरकार ने अपनी जिम्मेदारी समझते हुए परिवार को 25 लाख की सहायता का आदेश दिया है। धामी के मुख्यमंत्री विवेकाधीन कोष से इस रकम को दिए जाने पर युग कवि डॉ कुमार विश्वास जी ने अपनी प्रतिक्रिया दी है। उनका कहना है कि ऐसे कुपुत्रों दुर्योधनों के कुकर्मों का मुआवजा टैक्स के पैसे से क्यों दिया जाय।
डॉ कुमार विश्वास ने आजतक न्याज की पोस्ट को शेयर करते हुए लिखा है:- “पर क्यूँ? सत्ता के अहंकार में डूबे उस नीच दुर्योधन के कुकर्मों का मुआवजा टैक्स पेयर के पैसे से क्यूँ दिया जाय? उस नराधम के रिसोर्ट और संपत्तियों की नीलामी कर के उस बिटिया के परिजनों को सारा धन क्यूँ ना दिया जाय? अनाचार-व्यभिचार करें पॉलीटिकल परिवार के संरक्षण में पड़े बेलगाम लड़के और भरे जनता?
गद्दी पर बैठे हर धृतराष्ट्र को सदैव यह याद रखना चाहिए कि जिन राजवंशों के दुर्योधन भरी सभा में अपनी बेटियों, बहनों और कुलवधुओं का अपमान करते हैं वे कितने भी वैभवशाली हस्तिनापुर हों समय का महाभारत अंततः उन्हें विनाश के मलबे में तब्दील कर ही देता है
डॉ कुमार विश्वास की बात कहीं ना कहीं सच भी है क्योंकि राजनीतिक दल ऐसे अपराधियों को शरण देते हैं और इनके अपराधों को नजरअंदाज करते हुए इन्हें राजनीतिक संरक्षण प्रदान करते हैं।
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