राजस्व न्यायालयों में भूमि विवाद से जुड़े 34 हजार से अधिक मुकदमें लंबित हैं। इस पर मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी नाखुश हैं। उन्होंने राजस्व परिषद अध्यक्ष को तत्काल सभी पीठासीन अधिकारियों की बैठक बुलाकर लंबित मुकदमों का मिशन मोड में निस्तारण करने के निर्देश दिए। निपटारा करने के निर्देश दिए हैं। उन्होंने दाखिल खारिज से जुड़े मुकदमों का निस्तारण करने के लिए विशेष अभियान चलाने के निर्देश दिए।
मिली जानकारी के अनुसार, विभिन्न बैठकों और जनसंपर्क कार्यक्रमों के दौरान मुख्यमंत्री को बड़ी संख्या में राजस्व वाद से संबंधित शिकायतें प्राप्त हुईं। इस संबंध में उन्होंने रिपोर्ट मांगा तो यह खुलासा हुआ कि राजस्व न्यायालयों में हजारों की संख्या में मुकदमें लंबित हैं। मुख्यमंत्री ने राजस्व न्यायालयों की कार्यप्रणाली और कार्यों की प्रगति पर अप्रसन्नता व्यक्त की। उन्होंने अध्यक्ष राजस्व परिषद् को तत्काल सभी राजस्व न्यायालयों के पीठासीन अधिकारियों के साथ बैठक करने के निर्देश दिए। मुख्यमंत्री ने आयुक्त एवं सचिव को नियमित 15 दिन में समीक्षा कर प्रगति से अवगत कराने को भी कहा।
मुख्यमंत्री ने कहा कि राज्य सरकार के सरलीकरण, समाधान, निस्तारण और संतुष्टि के मूलमंत्र को साकार करने के लिए राजस्व न्यायालयों के लंबित मुकदमों को विशेष अभियान के तहत और समयबद्धता के साथ निपटाया जाए। मुख्यमंत्री जिलों के भ्रमण और समीक्षा बैठकों के दौरान भी राजस्व वादों के प्रगति की समीक्षा करेंगे।
कृषि भूमि से संबंधित नामांतरण अधिकारों की घोषणा, खेतों का बंटवारा, अवैध कब्जा हटाना आदि के समयबद्ध निस्तारण के लिए राजस्व न्यायालयों का गठन किया गया है। राजस्व न्यायालयों को सिविल न्यायालयों की भांति शक्तियां दी गई हैं। इसके बावजूद राजस्व न्यायालयों में छोटे-छोटे जमीन विवाद सालों तक लंबित चले आ रहे हैं।
राजस्व परिषद्, आयुक्त, कलेक्टर, अपर कलेक्टर, सहायक कलेक्टर, तहससीलदार, नायब तहसीलदार के न्यायालय में 1130 मुकदमे तीन साल से भी अधिक पुराने हैं।
प्रदेश में कुल 51555 राजस्व वाद हैं। इसमें से 17232 वाद निस्तारित किए गए हैं। वर्तमान में 34323 वाद लंबित हैं। देहरादून में सबसे अधिक 15992 वाद लंबित हैं, जबकि रुद्रप्रयाग जिले में सबसे कम 52 वाद लंबित हैं।
संपादन: अनिल मनोचा