उत्तराखण्ड; ग्राम पंचायत विकास अधिकारी (वीपीडीओ) भर्ती धांधली में एक पूर्व मुख्यमंत्री के ओएसडी से भी पूछताछ की गई। एसटीएफ ने उनके बयान दर्ज किए हैं। बताया जा रहा है कि उन्हें सरकारी गवाह बनाया जा सकता है। सूत्रों के मुताबिक, उन्होंने एक अभ्यर्थी की सिफारिश आरोपियों से की थी। हालांकि, इसके पुख्ता प्रमाण नहीं मिल सके हैं।
मिली जानकारी के अनुसार, वीपीडीओ भर्ती धांधली में एसटीएफ ने वर्ष 2016 में आयोग के तत्कालीन अध्यक्ष आरबीएस रावत, सचिव एमएस कन्याल और परीक्षा नियंत्रक राजेंद्र पोखरिया को गिरफ्तार किया था। जांच के दौरान एसटीएफ ने कई अभ्यर्थियों और उनके परिचितों से पूछताछ की थी। इनमें कुछ अधिकारी भी शामिल हैं। इन सब ने अपने-अपने संपर्क वाले अभ्यर्थियों की नौकरी के लिए इनसे सिफारिश की थी। इनमें से एक पूर्व मंडी समिति के अध्यक्ष को सरकारी गवाह बनाया जा चुका है।
जबकि, एक पूर्व सीएम के ओएसडी का नाम भी सामने आ रहा था। सोमवार को पूर्व ओएसडी को पूछताछ के लिए बुलाया गया था। उनसे एसटीएफ अधिकारियों ने करीब तीन घंटे पूछताछ की। उनके बयान दर्ज किए गए। बताया जा रहा है कि उन्होंने किसी की सिफारिश की थी लेकिन पैसे का लेनदेन सामने नहीं आया है। हालांकि, उन्हें इस सबकी जानकारी थी।
शनिवार को गिरफ्तार किए गए तीनों आरोपियों को सोमवार को फिर न्यायालय में पेश किया गया। क्योंकि, शनिवार को ड्यूटी मजिस्ट्रेट की कोर्ट ने उनकी दो दिन की न्यायिक रिमांड दी थी। ऐसे में सोमवार को पेशी के दौरान उनकी ओर से जमानत याचिका भी लगाई गई। मगर, न्यायालय ने इसे नामंजूर करते हुए तीनों को 14 दिन की न्यायिक हिरासत में जेल भेज दिया है।
संपादन: अनिल मनोचा