रूस-यूक्रेन युद्ध; यूक्रेन युद्ध में रूस और ईरान के बीच गुप्त रूप से हुई सांठगांठ का खुलासा होने के बाद अमेरिका और ईरान के बीच तल्खियां बढ़ती साफ दिखाई दे रही हैं। इन दोनों देशों से ही अमेरिका की पुरानी अदावत भी रही है। ईरान की ही बात करें तो मौजूदा समय में अमेरिका और ईरान के बीच परमाणु डील को लेकर अलगाव साफतौर पर दिखाई दे रहा है। इसके बाद रूस को मिली ईरानी मदद ने इस खाई को और बढ़ाने का काम किया है। दरअसल, ईरान ने रूस को हजारों की संख्या में अपने Shahed-136 ड्रोन की सप्लाई की है। इनका इस्तेमाल रूस यूक्रेन में हमला करने के लिए कर रहा है। इसका खुलासा अमेरिका ने कुछ समय पहले ही कर दिया था, लेकिन पिछले दिनों यूक्रेन में इन ड्रोन के मार गिराए जाने के बाद इसकी पुष्टि हो गई। इसके साथ ही रूस और ईरान के यूक्रेन में साथ आने का भी खुलासा अब पूरी तरह से हो चुका है।
मिली जानकारी के अनुसार, पहले से ही अमेरिकी प्रतिबंधों की मार झेल रहे ईरान पर अब यूरोपीय यूनियन के प्रतिबंधों की भी तलवार लटकी हुई है। यूक्रेन ने ईरानी ड्रोन की पुष्टि करने के बाद ही ईयू से ईरान पर प्रतिबंध लगाने की मांग कर दी थी। इसके अलावा अमेरिका ने भी ईरान को साफ शब्दों में रूस को किसी भी तरह की मदद न देने को लेकर चेतावनी दी है। अमेरिका के बयान से ये भी साफ हो गया है कि वो इस गठबंधन से कितना नाराज है। अमेरिका ने ये भी संकेत दिया है कि यदि दोबारा यूक्रेन युद्ध में ईरान की तरह से सहयोग मिलता दिखाई दिया तो वो ईरान पर और अधिक कड़े प्रतिबंधों को लगाने से नहीं चूकेगा।
मिली जानकारी के अनुसार, वहीं यूरोपीयन यूनियन भी इस पर अपनी नाराजगी जता चुका है। आने वाले दिनों में इस गठबंधन पर गाज गिरनी तय मानी जा रही है। आपको बता दें कि यूक्रेन में ईरानी ड्रोन के मार गिराए जाने से पहले दोनों ही देश इस गठबंधन पर खामोश थे। वहीं ड्रोन नष्ट किए जाने के बाद भी रूस और ईरान ने इसको लेकर कोई बयान नहीं दिया है। ऐसे में ईरान का रूस का साथ देना काफी भारी पड़ सकता है।
जिस ड्रोन को लेकर अमेरिका ने कड़ा संदेश दिया है उसका उत्पादन ईरान की करती है। इन ड्रोन का इस्तेमाल ईरानी आर्मी के अलावा हूथी विद्रोहियों द्वारा भी किया जाता है। इस तरह का एक ड्रोन बनाने पर करीब 20 हजार डालर की लागत आती है। इस ड्रोन की लंबाई करीब 11 फीट लंबे और वजन करीब 200 किग्रा है। ये ड्रोन करीब 40 किग्रा वारहेड लेकर जा सकता है। ये ड्रोन करीब 115 मीटर प्रतिघंटे की रफ्तार से चल सकता है। इसको किसी राकेट की तरह ही लान्चर से दागा जाता है। कुछ रिपोर्ट में कहा गया है कि रूस ने इस ड्रोन का इस्तेमाल ओडेसा, खार्किव में भी किया था।
संपादन: अनिल मनोचा