देहरादून; हिमाचल प्रदेश और गुजरात के विधानसभा चुनाव में मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी की धमक भी खूब रहने वाली है। धामी की अगुआई में भाजपा ने उत्तराखंड में हर पांच साल में सत्ता बदलने का मिथक तोडऩे में सफलता पाई थी।
मिली जानकारी के अनुसार, धामी सरकार ने उत्तराखंड में समान नागरिक संहिता लागू करने की दिशा में कदम बढ़ाए हैं। ऐसे में राजनीतिक रूप से धामी के बढ़े कद को देखते हुए दोनों चुनावी राज्यों में भाजपा उनका भरपूर उपयोग करने जा रही है।
इस दौरान पार्टी जहां डबल इंजन के महत्व को रेखांकित करेगी, वहीं विकास के दृष्टिगत जनता को यह संदेश देने का प्रयास करेगी कि बदलाव न करना ही राज्यों के हित में है। इसके लिए उत्तराखंड को उदाहरण के रूप में पेश किया जाएगा।
ऐसे में वर्ष 2022 के विधानसभा चुनाव में भाजपा के सामने यह मिथक तोडऩे की चुनौती थी। डबल इंजन के दम और मुख्यमंत्री धामी की अगुआई में पार्टी ने इसमें सफलता पाई। यद्यपि, उसके पिछले प्रदर्शन के मुकाबले भाजपा की 10 सीटें कम रहीं, लेकिन वह स्पष्ट बहुमत हासिल करने में कामयाब रही।
मिथक तोडऩे वाली जीत का सेहरा स्वाभाविक रूप से मुख्यमंत्री धामी के सिर बंधा। यही कारण रहा कि चुनाव हारने के बावजूद पार्टी के केंद्रीय नेतृत्व ने धामी पर ही भरोसा जताया। उपचुनाव में धामी ने ऐतिहासिक जीत हासिल कर केंद्रीय नेतृत्व के निर्णय को सही ठहराया।
इसके साथ ही भाजपा ने उत्तराखंड में विधानसभा चुनाव में बूथ जीता-चुनाव जीता के मूलमंत्र पर कदम बढ़ाए। विधानसभा क्षेत्रवार चुनाव प्रबंधन पर जोर दिया।
यही नहीं, मुख्यमंत्री धामी ने चुनाव के दौरान राज्य में समान नागरिक संहिता लागू करने का वादा किया था। धामी ने दूसरी पारी की पहली कैबिनेट में ही इस बारे में विशेषज्ञ समिति के गठन का निर्णय लिया। समिति लगातार जनता से सुझाव ले रही है। इससे भी देश में अच्छा संदेश गया है।
संपादन: अनिल मनोचा