देहरादून; संभागीय परिवहन प्राधिकरण (आरटीए) की देहरादून संभाग की बैठक मंगलवार को गढ़वाल मंडलायुक्त एवं प्राधिकरण अध्यक्ष सुशील कुमार व प्राधिकरण सचिव देहरादून आरटीओ प्रशासन सुनील शर्मा की मौजूदगी में मंडलायुक्त शिविर कार्यालय में हुई।
लगभग साढ़े तीन वर्ष के बाद हुई प्राधिकरण की यह बैठक बेहद अहम मानी जा रही थी। हुआ भी ऐसा ही। उच्च न्यायालय और नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल के आदेशों के क्रम में बैठक में सबसे बड़ा मामला देहरादून और हरिद्वार में प्रदूषण को लेकर था।
सबसे बड़ा निर्णय दून, ऋषिकेश व हरिद्वार में डीजल आटो-विक्रम को बाहर करने का हुआ। अभी डीजल पर चालित आटो-विक्रम का परमिट नवीनीकृत उसी सूरत में होगा, जब प्राधिकरण की ओर से तय समय-सीमा में वाहन संचालक नया बीएस-6 श्रेणी के पेट्रोल, इलेक्ट्रिक अथवा सीएनजी आटो या विक्रम खरीद लेगा।
बढ़ते प्रदूषण को कम करने के लिए देहरादून एवं हरिद्वार जिले में संचालित डीजल आटो व विक्रम वर्ष-2023 के बाद चलन से बाहर हो जाएंगे। संभागीय परिवहन प्राधिकरण ने इन्हें दो चरणों में बाहर करने का निर्णय कर लिया है।
मिली जानकारी के अनुसार, दस वर्ष से अधिक पुराने डीजल आटो-विक्रम 31 मार्च-2023 के बाद नहीं चल सकेंगे, जबकि डीजल पर चालित शेष आटो-विक्रम 31 दिसंबर-2023 के बाद प्रतिबंधित हो जाएंगे। इनके बदले शहरों में बीएस-6 श्रेणी के पेट्रोल, इलेक्ट्रिक अथवा सीएनजी आटो-विक्रम संचालित होंगे।
इस निर्णय के बाद देहरादून शहर, विकासनगर, डाकपत्थर, हरबर्टपुर, कालसी, सेलाकुई व ऋषिकेश समेत हरिद्वार शहर, रुड़की, पिरान कलियर, लक्सर आदि में संचालित लगभग दस हजार डीजल आटो-विक्रम पर प्रतिबंध लग जाएगा।
यही नहीं, प्राधिकरण ने रोडवेज बसों में परिवहन व यातायात सुरक्षा से जुड़े स्टीकर लगाने के साथ ही स्टेज कैरिज की निजी व सिटी बस में महिलाओं, दिव्यांग व बुजुर्गों के लिए सीट आरक्षित करने का निर्णय भी लिया। प्राधिकरण ने दून, हरिद्वार, टिहरी व उत्तरकाशी जनपद में उन मार्गों पर भी यात्री वाहनों के नए परमिट देने का निर्णय किया, जहां अभी सार्वजनिक वाहन की सेवा नहीं मिल रही है।
संपादन: अनिल मनोचा