पाकिस्तान; लॉन्ग मार्च निकाल रहे पूर्व प्रधानमंत्री इमरान खान गोलीबारी की घटना में घायल हुए हैं। वह सुरक्षित बताए जा रहे हैं, लेकिन यह घटना एक बार फिर जम्हूरियत यानी लोकतंत्र की दुहाई देने वाले पाकिस्तान के रक्तरंजित इतिहास की याद दिलाती है। पहले भी कई बार वहां पूर्व प्रधानमंत्री और राष्ट्रपति पर हमले हो चुके हैं। आइए जानें कब किस प्रमुख नेता पर पाकिस्तान में जानलेवा हमला किया गया…!
मिली जानकारी के अनुसार, जुल्फिकार अली भुट्टो को फांसी पर लटकाने वाले जनरल जिया उल हक वैश्विक परिदृश्य में पाकिस्तान के एक बड़े नेता बनकर उभरे थे। अपनी सैन्य छवि को बदलने की असफल कोशिश भी उन्होंने की थी। भुट्टो को फांसी के नौ वर्ष बाद जनरल जिया उल हक की मौत एक विमान दुर्घटना में हुई थी। कभी इस दुर्घटना का रहस्य बाहर नहीं आ सका, लेकिन पाकिस्तान के सियासी गलियारों में माना जाता है कि यह दुर्घटना नहीं, हत्या थी।
जब भारत के विभाजन से पाकिस्तान का जन्म हुआ, तबसे वहां कई राजनेताओं पर हमले होते रहे हैं। कई की तो हत्या हो चुकी है। पाकिस्तान के पहले प्रधानमंत्री लियाकत अली खान पर भी इमरान खान की तर्ज पर ही एक सभा में हमला हुआ था। चारों तरफ भीड़ थी, जब रावलपिंडी के कंपनी बाग में बने मंच पर लियाकत अली खान की हत्या कर दी गई थी। अब यह कंपनी बाग, लियाकत बाग के नाम से जाना जाता है।
पाकिस्तान में एक राजनीतिक हत्या का मामला भी भुट्टो परिवार से ही जुड़ा है। जुल्फिकार अली भुट्टो की मौत के बाद उनकी बेटी ने पाकिस्तान की सियासत में प्रवेश किया और दो बार प्रधानमंत्री बनीं। बेनजीर भुट्टो की हत्या भी रावलपिंडी में एक रैली को संबोधित कर लौटते समय गोली मारकर कर दी गई थी। यह तब था, जब उन्हें लगातार हत्या की धमकियां मिल रही थीं और उन्हें अतिरिक्त सुरक्षा प्रदान की गई थी।
पाकिस्तान के तत्कालीन गृहमंत्री अहसान इकबाल पर पंजाब सूबे में एक रैली के दौरान जानलेवा हमला किया गया था। इस हमले में उनके दाहिने कंधे पर गोली लगी थी।
पाकिस्तान के इतिहास में मोहम्मद अली जिन्ना के बाद जो एक नाम सबसे अधिक लिया जाता है, वह है जुल्फिकार अली भुट्टो का। दिग्गज नेता और पूर्व राष्ट्रपति जुल्फिकार अली भुट्टो को उस समय पाकिस्तान के सैन्य शासन द्वारा सरेआम फांसी की सजा दी गई थी जब देश की बागडोर जनरल जिया उल हक के पास थी। पाकिस्तान के इस नेता ने भी लियाकत अली की तरह कंपनी बाग के पास जान गंवाई थी। फांसी की सजा अदालत ने सुनाई थी, लेकिन इसके पीछे सैन्य शासक जिया उल हक का हाथ माना जाता है।
मिली जानकारी के अनुसार, इमरान खान को गोली मारने वाले पकड़े गए संदिग्ध हमलावर ने कहा कि वह सिर्फ पूर्व प्रधानमंत्री की ही हत्या करना चाहता था। हमलावर की स्वीकारोक्ति की एक वीडियो क्लिप पाकिस्तानी मीडिया में प्रसारित की गई। इसमें उसने कहा, ‘वह (इमरान) लोगों को गुमराह कर रहे थे और मैं यह नहीं देख सकता था। इसलिए मैंने उन्हें मारने का प्रयास किया। उसने कहा, “मैंने इमरान खान को मारने की पूरी कोशिश की। मैं उन्हें ही मारना चाहता था और किसी को नहीं।” हमलावर ने कहा कि वह किसी राजनीतिक, धार्मिक या आतंकी संगठन से नहीं जुड़ा है। उसने कहा, ‘मैंने आज (गुरुवार को) उन्हें मारने का फैसला किया। यह विचार मुझे तब आया जब खान ने (28 अक्टूबर) अपना मार्च शुरू किया था। मैं अकेला हूं और मेरे साथ कोई नहीं है। मैं अपनी मोटरसाइकिल पर आया और अपने चाचा की दुकान में उसे खड़ा कर दिया।’
संपादन: अनिल मनोचा