मिली जानकारी के अनुसार, प्रदेश में सुप्रीम कोर्ट के निर्देशों के क्रम में आरक्षित वन क्षेत्रों में उपखनिज का चुगान (खनन) वन विभाग की ओर से वन विकास निगम को सौंपा गया है। इसके अलावा राजस्व क्षेत्र की नदियों में खनन विभाग की देखरेख में खनन होता है। वहीं, शासन-प्रशासन की अनुमति के बाद निजी पट्टों पर भी खनन किया जाता है। खास बात यह कि तीनों तरह के खनन में रॉयल्टी की दरें भिन्न-भिन्न हैं। वन विकास निगम की ओर से आरक्षित वन क्षेत्रों की विभिन्न नदियों में आरबीएम की दरें 20 से 25 रुपये प्रति कुंतल तय हैं। जबकि राजस्व और निजी खनन पट्टों में यह दरें 15 से 18 रुपये तय हैं। नई दरें क्या होंगी, इस पर शासन में होनी वाली अंतिम बैठक में फैसला लिया जाएगा।
बताते चलें कि राज्य में निकलने वाले 65 से 70 प्रतिशत उप खनिज का चुगान आरक्षित वन क्षेत्रों से निकलने वाली नदियों से किया जाता है। प्रदेश के आरक्षित वन क्षेत्रों में स्थित नदियों में खनन पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय की ओर से जारी गाइड लाइन के अनुसार किया जाता है। इसके अनुसार, रॉयल्टी की दरों के साथ सीमांकन एवं सुरक्षा क्षतिपूर्ति पौधरोपण, स्टांप शुल्क, वन्य जीव शमन, श्रमिक कल्याण कोष, धर्मकांटा, कंप्यूटरीकृत तौलाई, सीसीटीवी कैमरा, परिचालन व्यय जैसी तमाम औपचारिकताएं पूरी करनी पड़ती हैं। जिससे वन विकास निगम की रॉयल्टी दरें राजस्व और निजी खनन पट्टों से इतर अधिक हैं। अब इन व्ययों के खर्च को कम करने पर मंथन किया जा रहा है, ताकि खनन रॉयल्टी में एकरूपता लाई जा सके।
संपादन : अनिल मनोचा