December 24, 2024

Devsaral Darpan

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उत्तराखंड- दस वर्ष में पांच हजार बार डोली धरती, छोटे भूकंप बड़े भूकंप को टालने के लिहाज से अच्छे, बड़े भूकंप का खतरा जाता है टल !!

उत्तराखंड;  बीते 10 वर्षों में भूकंप के लगभग  पांच हजार भूकंप के झटके  रिकार्ड हुए हैं हालांकि भूकंप के छोटे झटके बड़े भूकंप को टालने के लिहाज से अच्छे कहे जा सकते हैं। यह कहना है कुमाऊं विवि में प्रोफेसर रहे प्रसिद्ध भू-वैज्ञानिक और एमओईएस (मिनिस्ट्री ऑफ अर्थ साइंस) के प्रधान अन्वेषक रहे प्रो. चारू चंद्र पंत का।

उनका कहना है कि वर्तमान का ग्रेटर हिमालय कभी पृथ्वी से 20 किलोमीटर नीचे था। धीरे-धीरे यह पृथ्वी की सतह तक आया और आज  हिमालय के रूप में है। उन्होंने बताया कि हिमालय प्रतिवर्ष एक सेमी की रफ्तार से ऊपर उठ रहा है। एमसीटी (मेन सेंटर थ्रस्ट) के दबाव से पैदा हुई ऊर्जा से आए भूकंप के बाद इसमें भविष्य में और वृद्धि हुई होगी।

मिली जानकारी के अनुसार,  प्रो. पंत ने  बताया कि पाक में स्थित नंगा पर्वत से भारत के अरुणाचल के नमचा बरवा क्षेत्र तक 2500 किमी लम्बी एमसीटी गुजरती है। मेन सेंट्रल थ्रस्ट के रूप में जानी जाने वाली यह दरार कई भागों में विभाजित है और कहीं 50 से 60 किमी तक चौड़ी है। भूकंप भी एमसीटी जोन में ज्यादा आता है। उन्होंने बताया कि इंडियन और एशियन प्लेट के बीच दबाव बढ़ने आपस में टकराने और घर्षण से भूकंप की घटना होती।

आम तौर पर इसके चलते छोटे भूकंप आते हैं, जिन्हें उपकरण तो रिकॉर्ड करते हैं लेकिन महसूस नहीं किए जाते हैं। बीते 10 वर्ष में पांच हजार भूकंप के झटके रिकॉर्ड किए जा चुके हैं। छोटे भूकंप इस लिहाज से अच्छे होते हैं कि उनसे बहुत एनर्जी रिलीज हो जाती है और बड़े भूकंप का खतरा टल जाता है। लेकिन घर्षण ज्यादा होने पर बड़े भूकंप की संभावना रहती है। इसके दायरे में  चट्टानें कमजोर हों तो एक-दूसरे से टकराकर एक-दूसरे के ऊपर चढ़ जाती हैं जिससे भूकंप की  तीव्रता बढ़ जाती है और नुकसान अधिक होता है।

संपादन: अनिल मनोचा

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