देहरादून; देश के प्रथम प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू मसूरी को अपना दूसरा घर मानते थे। अपने जीवनकाल में नेहरू कई बार मसूरी आए। यहां तक कि अपने निधन से दो दिन पहले भी नेहरू मसूरी में ही थे। तबीयत खराब होने पर उन्हें दिल्ली जाना पड़ा था।
मिली जानकारी के अनुसार, नेहरू सबसे पहले 1906 में मसूरी आए थे। उनको मसूरी की प्राकृतिक खूबसूरती इतनी पंसद आई कि इसके बाद उन्होंने कई बार यहां समय बिताया। जवाहर लाल नेहरू ने 1946 से 1964 के बीच कई बार मसूरी का दौरा किया था। वहीं, 1959 को उन्होंने मसूरी के हैप्पीवैली स्थित बिड़ला हाउस में तिब्बती धर्मगुरु दलाईलामा से मुलाकात कर तिब्बतियों के विस्थापन को लेकर चर्चा की थी।
यहां वह स्थानीय लोगों के साथ भी आजादी की लड़ाई को लेकर चर्चा करते थे और उन्हें एकजुट होने का संदेश देते थे। जवाहर लाल नेहरू के अलावा मोती लाल नेहरू, कमला नेहरू, स्वरूप रानी, जवाहर लाल नेहरू, इंदिरा गांधी सहित पूरे परिवार का मसूरी में आना जाना लगा रहता था।
मसूरी के इतिहासकार गोपाल भारद्वाज बताते हैं कि जवाहर लाल नेहरू के पिता मोतीलाल नेहरू और माता स्वरूप रानी स्वास्थ्य कारणों से डॉक्टरों की सलाह पर ज्यादातर मसूरी रहते थे।
जब देश आजाद हुआ तो उसके बाद भी नेहरू मसूरी आए थे और मालरोड पर घोड़े से चलते थे। गोपाल भारद्वाज कहते हैं कि 1959 में नगर पालिका अध्यक्ष जग्गानाथ शर्मा ने नेहरू से कहा था कि आप देश के प्रधानमंत्री हैं, आप मालरोड पर घोड़े के बजाय वाहन से जा सकते हैं।
संपादन : अनिल मनोचा