देहरादून; सार्वजनिक स्थलों पर कूड़ा फेंकने और थूकने पर प्रतिबंध से संबंधित प्रविधानों में सरकार ने बदलाव का निर्णय लिया है। इसके लिए राज्य में लागू उत्तराखंड कूड़ा फेंकना एवं थूकना प्रतिषेध अधिनियम में संशोधन विधेयक को कैबिनेट ने मंजूरी दे दी। इसमें अधिनियम में शामिल सजा के प्रविधान को विलोपित किया गया है, जबकि निरंतर अपराध की स्थिति में अर्थदंड की राशि पांच सौ रुपये प्रतिदिन से बढ़ाकर दो हजार रुपये कर दी गई है।
मिली जानकारी के अनुसार, उत्तराखंड को स्वच्छ एवं प्रदूषणमुक्त रखने के उद्देश्य से सार्वजनिक स्थलों पर कूड़ा-कचरा फेंकने और थूकने को प्रतिबंधित करने लिए वर्ष 2016 में उत्तराखंड कूड़ा फेंकना व थूकना प्रतिषेध अधिनियम अस्तित्व में आया। इसके अंतर्गत सार्वजनिक स्थलों पर कूड़ा-कचरा फेंकना व थूकना पूरी तरह प्रतिबंधित किया गया। साथ ही कुछ अन्य प्रतिबंध भी लागू किए गए।
पहले अर्थदंड के साथ कारावास की थी सजा : अधिनियम में प्रविधान है कि यदि कोई व्यक्ति अधिनियम का उल्लंघन या अपराध करते हुए पाया जाता है तो दोष सिद्ध होने पर अधिकतम पांच हजार रुपये के अर्थदंड व अधिकतम छह माह के कारावास की सजा का भागी होगा। यही नहीं, निरंतर अपराध किए जाने की स्थिति में पांच सौ रुपये प्रतिदिन के हिसाब से अतिरिक्त अर्थदंड अपराध जारी रखने की अवधि तक देना प्रविधानित किया गया।
कारावास संबंधी प्रविधानों को हटाया : अब शासन ने अधिनियम में शामिल कारावास संबंधी प्रविधानों को हटाने का निर्णय लिया है, जबकि निरंतर अपराध की स्थिति में प्रतिदिन के हिसाब से अर्थदंड में चार गुना वृद्धि की है। इससे संबंधित संशोधन विधेयक सरकार आगामी विधानसभा सत्र में पेश करेगी।
संपादन: अनिल मनोचा