देहरादून ; उत्तराखंड में जबरन मत परिवर्तन कराने या ऐसी कोशिश करने वालों को अधिक समय जेल में बिताना और अधिक जुर्माना देना होगा। पड़ोसी राज्य उत्तर प्रदेश की तुलना में इस कानून के प्रविधान अधिक कड़े करते हुए संशोधन किए गए हैं। कानून का उल्लंघन करने पर अब न्यूनतम एक वर्ष के स्थान पर दो वर्ष जेल की सजा काटनी होगी।
जुर्माने की राशि 15 हजार रुपये से बढ़ाकर 25 हजार : जेल में अधिकतम पांच साल के स्थान पर सात साल रहना होगा। जुर्माने की राशि 15 हजार रुपये से बढ़ाकर 25 हजार रुपये की गई है। इस कानून के अंतर्गत अब सभी अपराध संज्ञेय और गैर जमानती होंगे। पुष्कर सिंह धामी मंत्रिमंडल ने बुधवार को यह अहम निर्णय लेते हुए उत्तराखंड धर्म स्वतंत्रता (संशोधन) विधेयक के मसौदे को स्वीकृति दी। मंत्रिमंडल ने अन्य अहम निर्णय में हाईकोर्ट को नैनीताल से हल्द्वानी स्थानांतरित करने पर सैद्धांतिक सहमति दी है।
मिली जानकारी के अनुसार, मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी की अध्यक्षता में मंत्रिमंडल की बैठक बुधवार दोपहर सचिवालय में हुई। बैठक में कुल 26 बिंदुओं पर चर्चा के बाद 25 बिंदुओं पर निर्णय लिया गया। विधानसभा सत्र की अधिसूचना जारी होने के कारण मंत्रिमंडल के निर्णयों को ब्रीफ नहीं किया गया। सूत्रों के अनुसार मंत्रिमंडल ने उत्तराखंड धर्म स्वतंत्रता अधिनियम-2018 में संशोधन करने का अहम निर्णय लिया। इस संबंध में (संशोधन) विधेयक, 2022 को हरी झंडी दिखाई गई। संशोधित विधेयक में धारा-दो में संशोधन कर दो या दो से अधिक व्यक्तियों के मत परिवर्तन को सामूहिक मत परिवर्तन की श्रेणी में रखा गया।
संपादन: अनिल मनोचा