उत्तराखंड; मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने कहा कि अधिकारियों को काम का तरीका बदलना होगा। ये तेरी फाइल ये मेरी फाइल के चक्कर से उन्हें बाहर निकलना होगा। विभागों को एक-दूसरे पर जिम्मेदारी डालने की प्रवृत्ति को त्यागना होगा। एसीआर भरते समय अब यह देखा जाएगा कि जिस अधिकारी को जो टास्क दिया गया है, वह पूरा हुआ है या नहीं। जिसका जैसा काम होगा, उसका वैसा इनाम होगा। यह व्यवस्था इसी साल से लागू होगी।
मिली जानकारी के अनुसार, मुख्यमंत्री मंगलवार को मसूरी स्थित लाल बहादुर शास्त्री राष्ट्रीय प्रशासन अकादमी में आयोजित तीन दिवसीय सशक्त उत्तराखंड@25 चिंतन शिविर के उद्घाटन पर बोल रहे थे। आईएएस, आईपीएस और आईएफएस अफसरों को संबोधित करते हुए सीएम ने कहा कि भगवान ने आपको बहुत विशिष्ट बनाया है। आईएएस देश की सबसे बड़ी प्रशासनिक सेवा है।
मुख्यमंत्री ने कहा कि हमने सरलीकरण का मंत्र दिया है। हमें यहां सोचना होगा कि कितने विभागों ने कार्य का सरलीकरण किया। प्रक्रियाओं का सरलीकरण कर समाधान का रास्ता निकलना है। उन्होंने कहा कि आज पूरी सरकार यहां है। इन तीन दिनों में इस पर चिंतन करना होगा।
हमें बेस्ट प्रैक्टिस करने की आदत डालनी होगी। इसके लिए दस से पांच वाली संस्कृति से बाहर निकलना होगा। उन्होंने कहा कि आम धारणा है कि विकास की योजनाएं देहरादून को केंद्र पर रखकर बनाई जाती हैं, हमें लोगों की इस धारणा को बदलना होगा। इसके लिए पर्वतीय जिलों को विकास के खाके में शामिल करना होगा।
उन्होंने बहुत सरल भाषा में अधिकारियों को सुशासन का पाठ पढ़ाया। सीएम ने कहा कि देखने में आता है कि कई अधिकारी फाइल को ठीक से आगे नहीं बढ़ाते हैं। यह आदर्श स्थिति नहीं है। कई बार हम अपने स्तर से फैसले नहीं लेते। फाइल नीचे से चलते हुए कई बार सीएम दफ्तर तक आ जाती है। इस पर सभी की एक ही टिप्पणी होती है कि उच्च अनुमोदन हेतु प्रेषित। जबकि जरूरत यह है कि हम अपना निर्णय भी उस पर लिखें।
मुख्यमंत्री ने कहा कि हमें सरलीकरण, समाधान और संतुष्टिकरण के मंत्र पर कार्य करना होगा। हमारा फोकस समाधान पर होना चाहिए। एसीआर भरे जाने के समय यह ध्यान दिया जाना चाहिए कि जो टास्क दिया गया था वह पूरा हुआ या नहीं। हम इस कार्य को इसी वर्ष से प्रारंभ करेंगे। उन्होंने कहा कि इन तीन दिनों में हमें चिंतन के साथ चिंता भी करनी है कि प्रदेश का विकास कैसे हो?