उत्तराखण्ड; नए वित्तीय वर्ष में सरकार बजट स्वीकृत होने के बाद भी खर्च न करने के मामले में सख्त कदम उठाएगी। इसमें विभागों की जवाबदेही तय की जाएगी। पिछले चार वर्ष के बजट खर्च के आंकड़े तस्दीक कर रहे हैं कि सरकार के कुछ महकमों ने खर्च के मामले में कुछ ज्यादा कंजूसी बरती।
इसके चलते 17 हजार करोड़ रुपये से अधिक की धनराशि नहीं खर्ची जा सकी। लाजिमी है कि इससे राज्य के विकास कार्यों को गति मिलती और सुविधाओं का विस्तार होता। वित्त मंत्री प्रेमचंद अग्रवाल के मुताबिक, जारी वित्तीय वर्ष में सरकार की पूरी कोशिश है कि जितनी धनराशि स्वीकृत जा रही है, वो पूरी खर्च हो।
सरकार बना रही है ये रणनीति : अपर मुख्य सचिव वित्त आनंद बर्द्धन बजट खर्च की लगातार समीक्षा कर रहे हैं। बकौल बर्द्धन, नए वित्तीय वर्ष से सरकार यह कोशिश करेगी कि पहली तिमाही की धनराशि विभागों को शीघ्रता से प्राप्त हो जाए। मानसून से पहले धनराशि होने से विकास कार्यों की रफ्तार में तेजी तो आएगी साथ धनराशि का भी अधिकतम उपयोग होगा। इसके लिए विभागों से पहले ही योजनाएं मांगी जा रही है।
समय पर नहीं हुआ अनुमोदन तो जिला योजना का बजट कटेगा : जिला योजना के बजट खर्च को लेकर भी सरकार गंभीर है। जनवरी से मार्च महीने के बीच जिला योजना का अनुमोदन अनिवार्य किया जा सकता है। अप्रैल और मई माह में यदि जिला योजना का बजटीय अनुमोदन नहीं होता है तो 10-10 प्रतिशत कटौती भी हो सकती है। साथ ही मुख्यमंत्री को अनुमोदन का अधिकार दिया जा सकता है। इससे विकास कार्यों की गति प्रभावित नहीं होगी।