हरिद्वार; सरकारी महकमों की हालत किसी से छिपी नहीं है। आम इंसान को बिना सुविधा शुल्क दिए महकमों में काम कराना कितना मुश्किल है ये बात जगजाहिर है। विजिलेंस अब तक शिकायतों के बाद तहसील से लेकर अन्य विभागों में रिश्वतखोराें को दबोचती रही है। हरिद्वार के इतिहास में देखा जाए तो रिश्वत लेते हुए पहली बार खाकी पर हाथ डाला है।
महकमों में तैनात अफसरों से लेकर कर्मियों को मोटी तनख्वाह मिलती है, लेकिन विभागों में काम कराने आने वाले लोगों का काम बिना सुविधा शुल्क के कम ही होता है। अधिकांश काम की एवज में रिश्वत मांगी जाती है। इसकी गवाही पूर्व में रिश्वत लेते हो चुकी गिरफ्तारियों के आंकड़े दे रहे हैं।
कई कर्मियों को विजिलेंस रिश्वत लेते गिरफ्तार कर चुकी : बीते साल अक्तूबर में हरिद्वार तहसील में तैनात रजिस्ट्रार कानूनगो राजेश मारवाह को विजिलेंस ने 2,800 रुपये की रिश्वत लेते हुए गिरफ्तार किया था। अप्रैल 2022 में ऊर्जा निगम के एसडीओ संदीप शर्मा को 20 हजार की रिश्वत लेते धरा था। इससे पूर्व हरिद्वार तहसील, रुड़की तहसील, मंडी समिति में कई कर्मियों को विजिलेंस रिश्वत लेते गिरफ्तार कर चुकी है।