चारधाम यात्रा; चारधाम यात्रा की पूर्व तैयारियों को परखने के लिए गढ़वाल मंडल के सात जिलों में एक दिन पहले से ही अलर्ट किया गया लेकिन जब मॉक ड्रिल हुई तो कई जिलों में टीमें निर्धारित रिस्पांस समय में घटनास्थल तक नहीं पहुंच पाईं। यात्रा के शुरुआती पड़ाव ऋषिकेश, जहां शुक्रवार को सुबह 10 बजे सीेम पुष्कर सिंह धामी पहले यात्रा वाहन को झंडी दिखाएंगे, वहां 50 श्रद्धालुओं को भी प्रशासन की टीमें नहीं संभाल सकीं। राज्य आपदा प्रबंधन प्राधिकरण ने मॉकड्रिल के बाद समीक्षा में मिलीं खामियों से खामियों से सबक लेते हुए जिलावार निर्देश जारी करने का फैसला किया है।
आपदा प्रबंधन प्राधिकरण की ओर से राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन प्राधिकरण, सेना, आईटीबीपी, एसडीआरएफ, एनडीआरएफ, पर्यटन विभाग, स्वास्थ्य विभाग, एसएसबी, बीआरओ आदि महकमों के साथ मिलकर बृहस्पतिवार को मॉक ड्रिल की गई। इसकी सूचना एक दिन पहले ही देहरादून, हरिद्वार, टिहरी, पौड़ी, चमोली, रुद्रप्रयाग और उत्तरकाशी के जिलाधिकारियों, आपदा प्रबंधन विभाग को दे दी गई थी। बृहस्पतिवार को 16 स्थानों पर बाढ़, बस खाई में गिरने, भूस्खलन, भूकंप आदि की सूचना जारी की गई।
कई जिलों में तो टीमों ने बहुत तेजी से काम करते हुए निर्धारित रिस्पांस समय के भीतर पहुंचकर घायलों की मदद की। बचाव राहत कार्य किया। कई जिलों में बचाव दल समय से ही नहीं पहुंच पाए। ऋषिकेश में बस अड्डे पर भगदड़ की सूचना पर मॉक ड्रिल के दौरान ही अव्यवस्थाएं हो गईं। 50 एनसीसी कैडेट्स को यहां तीर्थयात्री के तौर पर लाया गया था। प्रशासन ट्रांजिट कैंप के प्रवेश व निकासी द्वार को लेकर ही असमंजस में नजर आया। मॉक ड्रिल समाप्त होने के बाद जब राज्य आपदा प्रबंधन प्राधिकरण ने इसकी समीक्षा की तो ऐसी तमाम खामियां सामने आई। अब इन खामियों से सबक लेते हुए आपदा प्रबंधन विभाग सभी जिलों को दिशा निर्देश जारी करेगा।
अब मॉक ड्रिल गोपनीय होगी : सचिव आपदा प्रबंधन डॉ. रंजीत सिन्हा का कहना है कि अभी जो मॉक ड्रिल की गई है, उसका मकसद राज्य और केंद्र की सभी संस्थानों को एकजुटता के साथ काम करने की तैयारी था। अब चूंकि आपदा में राहत, बचाव कार्यों को लेकर प्रक्रिया तैयार हो चुकी है। इसलिए इसके बाद जो भी मॉक ड्रिल होगी, वह बिना पूर्व सूचना दिए होगी। डॉ. सिन्हा ने बताया कि सभी जिलों को निर्देश जारी किए जाएंगे।