December 23, 2024

Devsaral Darpan

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उत्तराखण्ड- सरकारी किताब में अब भी त्रिवेंद्र सरकार, शिक्षा मंत्री के रूप में अरविंद पांडे और शिक्षा सचिव के रूप में आर मीनाक्षी सुंदरम का फोटो !!

उत्तराखण्ड;  प्रदेश के सरकारी स्कूलों के छात्र-छात्राओं को शिक्षा सत्र शुरू होने के एक महीने बाद भी मुफ्त पाठ्य पुस्तकें नहीं मिल पाई हैं, लेकिन पाठ्य पुस्तकों के साथ दी जाने वाली आनन्दिनी के नाम से जो किताब उपलब्ध कराई गई है, उसके मुताबिक प्रदेश में अब भी त्रिवेंद्र सरकार है।

दरअसल, इस किताब में मुख्यमंत्री के रूप में त्रिवेंद्र सिंह रावत, शिक्षा मंत्री के रूप में अरविंद पांडे और शिक्षा सचिव के रूप में आर मीनाक्षी सुंदरम का फोटो समेत संदेश छपा है, जबकि वर्तमान में मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी, शिक्षा मंत्री डॉ.धनसिंह रावत और शिक्षा सचिव रविनाथ रमन हैं। इसके पीछे विभागीय अधिकारी जो तर्क दे रहे हैं वह भी गले नहीं उतर रहा है।
अधिकारियों का कहना है छठी से आठवीं तक के बच्चों को दी जाने वाली आनन्दिनी इस साल अभी तक प्रकाशित नहीं हुई है, जिस पुस्तक की बात की जा रही है, वह पिछले वर्ष की हो सकती है। लेकिन बता दें कि पिछले वर्ष भी मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी, शिक्षा मंत्री डॉ.धनसिंह रावत और शिक्षा सचिव रविनाथ रमन ही थे। स्कूलों को बच्चों के लिए आनन्दिनी के साथ विद्या सेतु नाम की किताब भी दी जा रही है।

कुछ जिलों से ही इन किताबों को छपवाया गया है, मामले को दिखवाया जाएगा। अगर वास्तव में ऐसा है तो किताबों को संशोधित करवाकर ठीक कराया जाएगा। – सीमा जौनसारी, शिक्षा निदेशक

 

आनन्दिनी और विद्या सेतु किताब दी गई

यह चूक आनन्दिनी में हुई है, जबकि विद्या सेतु में कोई संदेश ही नहीं छपा है। राजकीय इंटर कालेज बुल्लावाला विकासखंड डोईवाला के प्रवक्ता सुरेश चंद शर्मा के मुताबिक उन्हें प्रशिक्षण लेने के बाद तीन दिन पहले आनन्दिनी और विद्या सेतु किताब दी गई है। कहा गया है कि मुफ्त पाठ्य पुस्तकें न मिलने तक इन किताबों से बच्चों को पढ़ाया जाना है। प्रशिक्षण में शामिल सभी शिक्षकों को यही किताबें उपलब्ध कराई गई हैं। वहीं, स्कूल के प्रधानाचार्य इम्दादुल्ला अंसारी का कहना है कि इस मामले को दिखवाया जाएगा।

आनन्दिनी हर साल के लिए छापी जाती है, इस साल आठवीं कक्षा के लिए इसे छपना है, एससीईआरटी इसका पाठ्यक्रम तैयार करता है, जबकि डायट इसे छपवाते हैं। स्कूलों को जो किताब दी गई है वह पिछले वर्ष की हो सकती है। – राकेश चंद्र जुगरान, प्राचार्य डायट देहरादून

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