उत्तराखंड; भाजपा तमाम कोशिशों के बाद भी अपने चेहरे से कर्नाटक विधानसभा चुनाव की पराजय नहीं छुपा पा रही है। यह हार उत्तर प्रदेश में सीएम योगी आदित्यनाथ के नेतृत्व में पार्टी के निकाय चुनाव में शानदार जीत पर भी भारी पड़ गई। पार्टी इस जीत का जश्न नहीं मना पाई। सियासी जानकारों का मानना है कि कर्नाटक की हार से उत्तराखंड भाजपा के लिए भी आने वाले चुनाव में चुनौती कड़ी हो जाएगी।
बहरहाल शनिवार को भाजपा मुख्यालय का नजारा और दिनों से जुदा था। कर्नाटक से चुनावी रुझानों में भाजपा की हार का एहसास होते ही पार्टी मुख्यालय में जुटे कार्यकर्ता व कतिपय नेता धीरे-धीरे खिसकने लगे और कुछ देर में वहां खामोशी पसर गई। हालांकि पार्टी नेताओं ने इस सन्नाटे पर तर्क दिया कि ज्यादातर पदाधिकारियों व कार्यकर्ताओं के पार्टी की सह प्रभारी रेखा वर्मा के सुपुत्र के विवाह समारोह में शामिल होने की वजह से पार्टी कार्यालय की चहल-पहल कम थी।
शहरी स्थानीय निकायों के चुनाव भी होने हैं इसी वर्ष : बहरहाल हिमाचल के बाद कर्नाटक में मिली हार ने राज्य भाजपा को भी हिला कर रख दिया है।राजनीतिक जानकारों के मुताबिक, भाजपा के सामने लोकसभा चुनाव से पहले अगले कुछ महीनों में दो अहम चुनाव हैं। कैबिनेट मंत्री रहे चंदनराम दास के निधन के बाद खाली हुई बागेश्वर विस सीट पर उपचुनाव होना है। शहरी स्थानीय निकायों के चुनाव भी इसी वर्ष होने हैं।
सांगठनिक तैयारियों के मोर्चे पर भाजपा बेशक कांग्रेस से काफी आगे हो, लेकिन हिमाचल के बाद कर्नाटक विस चुनाव में मिली जीत कांग्रेस को मनोवैज्ञानिक बढ़त दिलाने में काफी मददगार साबित होगी। अंदरुनी खेमेबाजी कांग्रेस में यदि हावी नहीं हुई तो जीत से उत्साहित कांग्रेसी आगामी चुनाव में प्रदेश में सत्तारूढ़ भाजपा के लिए चुनौती को कड़ा बना सकते हैं। इस हिसाब से भाजपा पर चुनावी तैयारियों को लेकर और अधिक दबाव बढ़ेगा।