उत्तराखण्ड; मेरा अयोध्या से विशेष नाता रहा है, जब मैंने अपनी सैन्य सेवा प्रारंभ की तो मेरी पहली तैनाती फैजाबाद में ही हुई थी। अयोध्या में अपनी सेवाएं देने के बाद मुझे श्रीलंका में सेवाएं देने का मौका मिला। मेरे मन में यह बात हमेशा रही कि एक प्रकार से राम की नगरी में मिले सैन्य प्रशिक्षण का लाभ मुझे श्रीलंका की युद्धभूमि में मिला।
इसी पवित्र भूमि से मैंने सैनिक के रूप में जीवन शुरू किया था। संयोग से एक युवा अधिकारी होने से मुझे हमारी यूनिट में आने वाले सैन्य अफसरों को अयोध्या में दर्शन करवाने के लिए समन्वयक की जिम्मेदारी भी मिली। जब मुझे यह अवसर मिला तो मैंने सोचा की मुझे इस स्थल के बारे में अधिक से अधिक जानकारी प्राप्त करनी चाहिए, जिसे मैं अपने अफसरों और उनके परिवार संग भ्रमण के दौरान साझा कर सकूं।
मैंने अपने अध्ययन से प्राप्त जानकारी के अनुसार, हनुमान गढ़ी, कनक भवन, देवकाली मंदिर, रामकी पैड़ी, सरयू घाट आदि स्थानों के विषय में पूरी जानकारी प्राप्त की और अयोध्या की महिमा का अनुभव किया। उस समय भी रामलला को उनकी वास्तविक स्थान पर न देखने की टीस मन में रहती थी, यही कारण है कि अयोध्या मेरे हृदय के इतने पास है।